कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का महिमामंडल, बना हिन्दुओं का हीरो | The Glorification of Notorious Gangster Lawrence Bishnoi, Now a Hero for Hindus
कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का महिमामंडल, बना हिन्दुओं का हीरो | The Glorification of Notorious Gangster Lawrence Bishnoi, Now a Hero for Hindus
मुंबई ! 12 अक्टूबर को एनसीपी मुस्लिम नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या, भारत-कनाडा संबंधों में खटास डालने वाले खालिस्तानी समर्थकों की हत्याओं की जांच और अभिनेता सलमान खान के खिलाफ सुरक्षा खतरे—इन सब मामलों में एक नाम आम है: जेल में बंद गैंगस्टर और हिन्दू आतंकी "लॉरेंस बिश्नोई"।
कुख्यात आतंकी लॉडेंस बिश्नोई, जो पिछले एक दशक से हत्या, ड्रग्स और जबरन वसूली के मामलों में जेलों में शिफ्ट होता रहा है और वर्तमान में गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है, सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है। 12 अक्टूबर को मुंबई में बाबा सिद्दीकी की हत्या के अगले ही दिन बिश्नोई गैंग ने कथित रूप से फेसबुक पोस्ट के जरिए इस हत्या की जिम्मेदारी ली। इस पोस्ट में "शुभू लोंकर महाराष्ट्र" नाम का व्यक्ति जिम्मेदार बताया गया।
इस बीच, कनाडा ने भी भारत सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने कुख्यात आतंकी बिश्नोई गैंग के साथ मिलकर खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर और अन्य कार्यकर्ताओं की हत्या की साजिश रची। हालांकि, कानून व्यवस्था पर चिंता के बावजूद, आतंकी बिश्नोई के लिए एक अप्रत्याशित समर्थन की लहर सोशल मीडिया पर उमड़ी, जिसमें इस आतंकी को "शेर" और "देशभक्त" कहा जाने लगा।
सोशल मीडिया पर भगवा सर्कार के समर्थकों द्वारा गैंगस्टर बिश्नोई की तुलना अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन से की जा रही है। इस आतंकी के समर्थक इसे हिंदू गौरव का प्रतीक मानते हुए इसका महिमामंडन कर रहे हैं। एक वायरल वीडियो में आतंकी बिश्नोई को भगत सिंह की तस्वीर के सामने कविता पढ़ते हुए दिखाया गया, जिसे "भारत का नया भगत सिंह" का नाम दिया जा रहा है |
इसके अलावा, कुछ सोशल पोस्ट्स में आतंकी लॉडेंस बिश्नोई को "हिंदुओं का आदर्श" बताया गया है, जबकि कुछ लोग इस आतंकी को "देशभक्त गैंगस्टर" और "हिंदू हीरो" कहकर पुकार रहे हैं।
कई सोशल मीडिया यूजर्स आतंकवादी लॉरेंस बिश्नोई को “हिंदुओं का आदर्श” मानते हुए उसकी तुलना अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, एक यूजर भरत चंद्रावत ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में बिश्नोई और दाऊद के बीच समानताएं बताई हैं। चंद्रावत ने एक पोस्ट में लिखा कि जिस तरह दाऊद ने कभी गुलशन कुमार की हत्या करवाई थी, इसी तरह बाबा सिद्दीकी की बारी आई है। इसके साथ ही, इस शख्स ने कहा कि जिनके आदर्श दाऊद इब्राहिम, हैं, वे हिंदुओं को आतंकी लॉरेंस बिश्नोई को आदर्श मानने पर उपदेश न दें।
आतंकी बिश्नोई के समर्थक यह दावा करते हैं कि वह मुस्लिम समुदाय को "काबू में" रख रहा है। एक यूजर विकाश बिश्नोई, जो जंभाणी साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता हैं, ने पोस्ट किया कि "कभी मुंबई को एक मुस्लिम आतंकवादी ने दहशत में रखा था, और अब एक हिंदू आतंकवादी नाम से मुसलमानों में घबराहट फैली हुई है।" उनके अन्य पोस्ट्स में बिश्नोई समुदाय की गौरवमयी छवि को बढ़ावा दिया जा रहा है और इस्लामॉफ़ोबिअ फैलाने की कोशिश की जा रही है |
कुछ लोगों ने बाबा सिद्दीकी की हत्या को "कर्म का फल" कहा, जबकि कई यूजर्स बिश्नोई को "घर का बड़ा बेटा" मानते हुए उसके द्वारा किये गए हत्याओं का महिमामंडल क्या हैं। एक यूजर ने कुख्यात आतंकी बिश्नोई को "कलयुग के नाथूराम गोडसे" का तमगा दिया, जबकि एक अन्य ने उसे "खालिस्तानियों का बाप" और सिखों का बाप बताया है ।
इसके साथ ही, सोशल मीडिया पर बिश्नोई गैंग के अगला निशाना कौन हो सकता है, इसको लेकर अटकलें तेज हैं। जयपुर डायलॉग्स नामक एक पॉपुलर अकाउंट ने अभिनेता सलमान खान और ममता बनर्जी की तस्वीर साझा करते हुए कैप्शन लिखा, "सलमान खान भी ममता दीदी के दोस्त हैं।" यह खासकर इसलिए ध्यान खींचता है क्योंकि बाबा सिद्दीकी को सलमान खान के काफी करीब माना जाता था और इसतरह ममता बनर्जी को निशाना बनाने की कोशिश की गई है जो की बेहद गंभीर मुद्दा है ।
एक अन्य पोस्ट में एक यूजर ने सलमान खान के आने वाली फिल्म के शीर्षक पर कटाक्ष करते हुए लिखा, "टाइगर कब तक जिंदा रहेगा," जो आतंकी लॉरेंस बिश्नोई के धमकी भरे बयानों की ओर इशारा करता है। इसी प्रकार, कुछ यूजर्स ने स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी और फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर के खिलाफ भी संभावित खतरे की बात करते हुए धमकाया है की इस आतंकी का अगला निशाना यह हो ।
कई लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि अगर लॉडेंस बिश्नोई अगर जेल में है, तो उसकी गैंग कैसे सक्रिय है? कांग्रेस से जुड़े एक यूजर योगेश मीना ने बिश्नोई की तस्वीर पोस्ट करते हुए पूछा, "अगर लॉडेंस बिश्नोई जेल में है, तो उसकी गैंग कौन चला रहा है? क्या वह खुद जेल से इसका संचालन कर रहा है? क्या यह गुजरात सरकार और गृह मंत्री अमित शाह की असफलता नहीं है?"
बीजेपी से जुड़े कुछ सोशल मीडिया यूजर्स और पत्रकारों ने भी आतंकी बिश्नोई की प्रशंसा करते हुए हिन्दुओं का हीरो बताया है। जैसे कि पूजा तिवारी, जिनके अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें फॉलो करते हैं, ने बिश्नोई का एक वीडियो साझा किया, जिसमें वह भगत सिंह की तस्वीर के सामने एक कविता पढ़ता नजर आ रहा हैं। इसके अलावा, कई अन्य यूजर्स बिश्नोई को खालिस्तानी सिख आतंकवादियों से लड़ने के लिए एक "महत्वपूर्ण सरकारी संपत्ति" कहकर उसकी प्रशंसा कर रहे हैं।
अंत में, इस हिंदुत्व आतंकवादी बिश्नोई के प्रति समर्थन की इस अप्रत्याशित लहर के बीच कुछ आलोचनाएं भी उठी हैं, लेकिन कुल मिलाकर सोशल मीडिया पर उसकी लोकप्रियता हिन्दुओं में तेजी से बढ़ती देखि जा सकती है।
हिन्दुत्वा आतंकी लॉडेंस बिश्नोई के प्रति बढ़ती लोकप्रियता ने सोशल मीडिया पर एक नई तरह की बहस को जन्म दिया है। कुछ लोग उसे एक "हिन्दू देशभक्त" के रूप में देखते हैं, जो हिंदू गौरव की रक्षा कर रहा है, जबकि अन्य इसे समाज और कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा मानते हैं।
बीजेपी से जुड़े कई लोग भी इस चर्चा में शामिल हो गए हैं। भाजपा उत्तर प्रदेश इकाई के पदाधिकारी प्रजापति इंद्रपाल बजरंगी ने एक पोस्ट में लिखा, "वैसे तो किसी अपराधी का समर्थन नहीं किया जा सकता, लेकिन लॉडेंस बिश्नोई में कुछ तो खास है, जिसे देखकर खालिस्तानी आतंकवादी और दाऊद इब्राहिम के गुर्गों की फट रही है ।" इस तरह के बयान दर्शाते हैं कि कुख्यात गैंगस्टर बिश्नोई की छवि को एक विशेष विचारधारा के तहत चमकाया जा रहा है, धेयान रहे की यह वही लोग हैं जो मुसलमानो को अब्दुल कलम बनने की सीख देते दीखते हैं जबकि समर्थन हिंदुत्व आतकियों का करते हैं, यह एक दोगली मानसिकता है ।
इसके अलावा, प्रमुख रक्षा विशेषज्ञ और टीवी डिबेट्स में अक्सर देखे जाने वाले मेजर गौरव आर्य का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें उन्होंने कहा, "लॉरेंस बिश्नोई एक बहुत ताकतवर व्यक्ति है।" हालांकि, बाद में उन्होंने इस वीडियो के जवाब में सफाई दी कि खालिस्तानी समर्थक उन्हें फोन कर कह रहे हैं कि उन्होंने बिश्नोई को हीरो बना दिया है। आर्य ने कहा, "मुझे सिर्फ इतना पता है कि खालिस्तानी लॉरेंस बिश्नोई से डरते हैं, यह वह मेजर हैं जिसे अक्सर पाकिस्तानी फॉलो भी करते हैं क्योंकि और जो लॉरेंस बिश्नोई जैसे आतंकी का फैन बॉय है ।"
पत्रकार और संपादक अतुल कृष्ण ने एक पोस्ट में महिमामंडल करते हुए कहा की कि यह सप्ताह "लॉरेंस बिश्नोई गैंग वीक" के नाम है। इसके बाद कई सोशल मीडिया यूजर्स ने मांग की कि इस सप्ताह को "बिश्नोई वीक" घोषित किया जाए। कुछ यूजर्स ने तो बिश्नोई के नाम पर "भारत रत्न" की भी मांग कर दी।
इस बीच, आलोचना भी सामने आई है। राजस्थान कांग्रेस के सेवा दल से जुड़े योगेश मीना ने यह सवाल उठाया कि अगर बिश्नोई जेल में है, तो उसकी गैंग कैसे काम कर रही है? इससे गुजरात सरकार और गृह मंत्री अमित शाह पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं कि बिश्नोई की आपराधिक गतिविधियां जेल के अंदर से कैसे जारी हैं।
इस पूरी घटना के दौरान एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह भी बना हुआ है कि कैसे एक कुख्यात गैंगस्टर को हीरो के रूप में पेश किया जा रहा है, और क्या यह समाज के लिए एक खतरनाक संकेत है। कुछ लोग इस प्रकार की सोच को खतरनाक मानते हैं, जो अपराधियों को महिमामंडित करने की प्रवृत्ति को जन्म देती है।
लॉरेंस बिश्नोई की इस बढ़ती हुई लोकप्रियता के साथ, यह सवाल उठता है कि क्या सोशल मीडिया पर उसे मिल रहा समर्थन उसके आपराधिक रिकॉर्ड को दरकिनार करने का संकेत है, या फिर यह एक गहरी सामाजिक-राजनीतिक समस्या की ओर इशारा करता है, जहां अपराधियों को ही आदर्श बनाया जा रहा है?
लॉरेंस बिश्नोई की महिमा को लेकर जो सामाजिक ध्रुवीकरण देखने को मिल रहा है, वह एक बड़ा सांस्कृतिक और राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। बिश्नोई को एक "राष्ट्रवादी नायक" के रूप में देखना यह दर्शाता है कि समाज का एक वर्ग ऐसे व्यक्तियों को अपना आदर्श मानने लगा है, जो उनकी धार्मिक या सांप्रदायिक भावनाओं को प्रतिध्वनित करते हैं, भले ही वह व्यक्ति एक अपराधी क्यों न हो।
यह प्रवृत्ति केवल बिश्नोई तक सीमित नहीं है। भारत में इतिहास के कई ऐसे अपराधी रहे हैं, जिन्हें उनके समुदाय या अनुयायियों द्वारा नायक बना दिया गया। दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन को भी कुछ समय तक उनकी जाति, धर्म, या क्षेत्र के कारण समर्थन मिला। लेकिन लॉरेंस बिश्नोई का मामला इस प्रवृत्ति को एक नई ऊंचाई तक ले जाता है, जहां सोशल मीडिया ने इसे और ज्यादा बढ़ावा दिया है।
इसके पीछे एक गहरी सांस्कृतिक और धार्मिक राजनीति काम कर रही है। बिश्नोई का महिमामंडन "हिंदू गौरव" और "राष्ट्रवाद" की भावनाओं से जुड़ रहा है। यह प्रवृत्ति दिखाती है कि किस तरह से सांप्रदायिक ध्रुवीकरण अपराधियों को नायकों में तब्दील कर सकता है, और कानून के प्रति सम्मान धीरे-धीरे कम हो सकता है। जब एक अपराधी, जिसने हत्या और जबरन वसूली जैसे संगीन अपराध किए हैं, उसे "देशभक्त" या "रक्षक" के रूप में देखा जाने लगे, तो यह समाज के नैतिक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
पप्पू यादव का सवाल
पप्पू यादव ने ट्विटर पर एक पोस्ट में यह सवाल उठाया कि अगर लॉरेंस बिश्नोई जेल में बंद है, तो वह अपने गिरोह को कैसे संचालित कर रहा है? उन्होंने इसके लिए सरकार, खासकर गुजरात सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भूमिका पर सवाल खड़े किए। उनके इस सवाल से यह बात स्पष्ट होती है कि यादव का मानना है कि कानून और व्यवस्था पर सरकार की पकड़ ढीली हो रही है, और खतरनाक अपराधी बिना किसी डर के अपना आपराधिक काम जारी रख पा रहे हैं।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
पप्पू यादव के इस बयान पर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। जहां एक तरफ उनके समर्थकों ने उनकी चिंताओं को जायज ठहराया और कहा कि यादव ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है, वहीं दूसरी ओर कुछ यूजर्स ने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए आलोचना की।
कई हिंदुत्व समर्थक सोशल मीडिया यूजर्स ने पप्पू यादव की पोस्ट का मजाक उड़ाया और लॉरेंस बिश्नोई को "देशभक्त" और "हिंदू रक्षक" के रूप में महिमामंडित किया। कुछ ने कहा कि यादव का बयान "मुस्लिम समर्थन" की राजनीति से प्रेरित है और यह हिंदू अपराधियों को बदनाम करने का प्रयास है।
कुछ पोस्ट्स में यह भी देखा गया कि यादव को "बिश्नोई के समर्थकों द्वारा धमकियों" का सामना करना पड़ा। एक सोशल मीडिया यूजर ने यहां तक कहा कि "पप्पू यादव को भी बिश्नोई की हिट लिस्ट में जोड़ दिया जाना चाहिए।" हालांकि, ऐसी प्रतिक्रियाएं प्रमुखता से ट्रोलिंग के रूप में देखी गईं, जहां बिश्नोई के समर्थकों ने उनका मजाक उड़ाया और उनके खिलाफ नाराजगी जाहिर की।
सोशल मीडिया की भूमिका इस प्रक्रिया में निर्णायक है। यहां, व्यक्तियों को अपनी विचारधारा को फैलाने और समर्थन पाने का मंच मिल जाता है, भले ही वे कानून के दायरे से बाहर हों। बिश्नोई के समर्थक सोशल मीडिया पर उसे महिमामंडित करने के लिए विभिन्न तरीकों का सहारा ले रहे हैं—कविताओं, वीडियो, और पोस्ट्स के माध्यम से उसकी छवि को एक नए "भगत सिंह" या "देश के रक्षक" के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इन पोस्ट्स को लाखों व्यूज मिलते हैं, और यह केवल एक व्यक्ति के बारे में नहीं है, बल्कि इस विचारधारा के बारे में है कि कैसे कुछ लोग अपराधियों को सांप्रदायिक प्रतीकों के रूप में देख रहे हैं।
बिश्नोई के समर्थकों का कहना है कि वह "हिंदू हितों की रक्षा" कर रहा है और "मुसलमानों को काबू में रखता है"। यह विचारधारा समाज के भीतर सांप्रदायिक तनाव और बढ़ा सकती है, क्योंकि यह एक अपराधी को सांप्रदायिक संघर्ष का नायक बनाती है। इसके परिणामस्वरूप, दूसरे समुदायों के भीतर भय और असुरक्षा की भावना पनप सकती है। इससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और भी गहरा हो सकता है, जिससे समाज में हिंसा और असहिष्णुता बढ़ने की संभावना है।
इसके अलावा, बिश्नोई को खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ एक "सरकारी हथियार" के रूप में भी देखा जा रहा है। कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ता दावा कर रहे हैं कि सरकार ने उसे खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ इस्तेमाल किया है, जिससे भारत-कनाडा के रिश्तों में खटास आई है। इस प्रकार के दावे न केवल बिश्नोई की छवि को और भी जटिल बना रहे हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि कैसे सांप्रदायिक और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का मेल एक अपराधी की छवि को नई दिशा दे सकता है।
इस बीच, आलोचक इस प्रवृत्ति को बेहद खतरनाक मानते हैं। उनका तर्क है कि अगर अपराधियों को हीरो के रूप में प्रस्तुत किया जाता रहा, तो यह कानून के प्रति लोगों की आस्था को कमजोर कर सकता है। इससे अन्य अपराधी भी प्रेरित हो सकते हैं कि वे भी सांप्रदायिक और राजनीतिक समर्थन के जरिए अपने आपराधिक कृत्यों को जायज ठहरा सकते हैं।
आखिरकार, इस घटना का व्यापक प्रभाव यह है कि समाज में अपराधियों को किस प्रकार से देखा जाता है, और किस प्रकार की विचारधारा उनके प्रति समर्थन पैदा करती है। यह एक गहरी सामाजिक समस्या का संकेत है, जिसमें धार्मिक और सांप्रदायिक विचारधाराएं कानून और नैतिकता के स्थान पर प्रमुख हो रही हैं। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस प्रवृत्ति का समाज, कानून व्यवस्था, और राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है, और क्या समाज इस दिशा में और अधिक ध्रुवीकरण की ओर बढ़ेगा, या फिर कानून का शासन पुनः स्थापित होगा।
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