बेरूत में धमाकों से हड़कंप, इजरायली हवाई हमले ने हिज़्बुल्लाह को फंडिंग करने वाले वित्तीय समूहों को बनाया निशाना | Explosions rock Beirut, Israeli air strikes target financial groups funding Hezbollah

 बेरूत में धमाकों से हड़कंप, इजरायली हवाई हमले ने हिज़्बुल्लाह को फंडिंग करने वाले वित्तीय समूहों को बनाया निशाना | Explosions rock Beirut, Israeli air strikes target financial groups funding Hezbollah

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रविवार देर रात और सोमवार सुबह इजरायली हवाई हमलों ने लेबनान की राजधानी बेरूत में हलचल मचा दी है । इजरायली वायुसेना ने उन संस्थाओं को निशाना बनाया जो हिज़्बुल्लाह को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करने का आरोप झेल रही हैं। लेबनानी राज्य मीडिया ने बताया कि इन हमलों का उद्देश्य हिज़्बुल्लाह की वित्तीय क्षमता को कमजोर करना था।

बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में कम से कम 11 धमाके हुए, जबकि दक्षिणी लेबनान और पूर्वोत्तर बेक़ा घाटी में भी कई हमले दर्ज किए गए। यह सभी क्षेत्र हिज़्बुल्लाह के गढ़ माने जाते हैं। इन हमलों से घबराए लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे हैं ।

इजरायली सेना ने पहले ही चेतावनी जारी कर दी थी कि वे हिज़्बुल्लाह की फंडिंग करने वाले नेटवर्क को निशाना बनाएंगे और नागरिकों को अल-क़र्द अल-हसन नामक वित्तीय संस्थान के पास न जाने की सलाह दी थी। अल-क़र्द अल-हसन, जो एक गैर-लाइसेंसीकृत बैंक है, को हिज़्बुल्लाह की प्रमुख आर्थिक स्रोत माना जाता है।

आस पास के लोगों के अनुसार, कई धमाकों से शहर के कुछ हिस्सों में धुएं के बादल छा गए और चियाह इलाके में एक इमारत पूरी तरह नेस्त ओ नाबूद  हो गई। हालांकि, हमले से पहले लोग इमारत को खाली कर चुके थे, जिससे किसी के हताहत होने की खबर नहीं आई है।

इजरायली सेना ने दावा किया है कि इन हमलों का उद्देश्य हिज़्बुल्लाह की आर्थिक गतिविधियों को युद्ध और उसके बाद पुनर्निर्माण के लिए कमजोर करना है। इस बीच, हिज़्बुल्लाह ने भी इजरायल पर कई रॉकेट हमले किए, जिससे इजराइल के कई क्षेत्रों में भीषण आग लग गई, लेकिन कोई बड़ी क्षति नहीं हुई।

लेबनान और इजरायल के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और स्थिति को लेकर क्षेत्र में गहरी चिंता बनी हुई है।

इजरायली सेना ने इस बीच घोषणा की है कि आने वाले दिनों में हिज़्बुल्लाह के वित्तीय और सैन्य नेटवर्क पर और भी हमले किए जा सकते हैं। इजरायली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट ने उत्तरी इजरायल का दौरा करते हुए सेना को यह निर्देश दिया है कि हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर हमले और तेज किए जाएं, ताकि समूह को कमजोर किया जा सके और इजरायल की सीमाओं को सुरक्षित क्या जा सके।

हिज़्बुल्लाह के साथ तनाव की शुरुआत अक्टूबर 2023 में तब हुई, जब इस संगठन ने हमास के समर्थन में उत्तरी इजरायल पर हमले किए। तब से लेकर अब तक इन हमलों में 29 इजरायली नागरिकों और 43 इसरायली सैनिकों की मौत हो चुकी है। इजरायल ने तब जवाबी कार्रवाई करते हुए हिज़्बुल्लाह के खिलाफ व्यापक सैन्य अभियान छेड़ा, जिसके परिणामस्वरूप संगठन की नेतृत्व टीम और उसके संसाधनों को भारी नुकसान पहुंचा है।

रविवार को हुए हवाई हमलों में इजरायल ने दावा किया कि उसने हिज़्बुल्लाह के खुफिया मुख्यालय और हथियार भंडार को भी निशाना बनाया है, जिससे 65 से अधिक हिज़्बुल्लाह लड़ाके मारे गए हैं, जिनमें कुछ प्रमुख सदस्य भी शामिल हैं। दूसरी ओर, हिज़्बुल्लाह ने दावा किया कि उसने इजरायल का एक ड्रोन गिराया है, हालांकि इस पर इजरायली सेना की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

इन हवाई हमलों से बेरूत के नागरिकों में दहशत का माहौल बना हुआ है। कई लोग शहर के सुरक्षित हिस्सों की ओर भाग रहे हैं, जिससे सड़कों पर भारी भीड़ और ट्रैफिक जाम देखने को मिल रहा है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस स्थिति पर चिंता जताई है और शांति बहाली के लिए प्रयास करने की अपील की है।

लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UNIFIL) ने भी इजरायली सेना पर उनके निगरानी टावर और सुरक्षा बाड़ को जानबूझकर ध्वस्त करने का आरोप लगाया है, लेकिन इजरायल ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि शांति सैनिकों को हमले के समय  दूर रहना चाहिए।

वर्तमान स्थिति को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच संघर्ष और बढ़ने की संभावना है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर खतरा पैदा हो सकता है।

इस बीच, इजरायल और हिज़्बुल्लाह के बीच हो रहे लगातार हमलों से पूरे क्षेत्र में तनाव की स्थिति गहराती जा रही है। इजरायली सेना ने यह स्पष्ट किया है कि उनका लक्ष्य हिज़्बुल्लाह की आर्थिक और सैन्य ताकत को पूरी तरह से ध्वस्त करना है, ताकि भविष्य में यह संगठन इजरायल पर किसी भी प्रकार के हमले करने में असमर्थ हो जाए। इजरायली सेना के प्रवक्ता ने कहा कि "आने वाले दिनों में और भी कई ठिकानों पर हमले किए जाएंगे, जिनका खुलासा समय के साथ किया जाएगा।"

दूसरी ओर, हिज़्बुल्लाह ने इजरायली हमलों का जवाब देते हुए अपने रॉकेट हमले और तेज कर दिए हैं। लेबनान की सीमा से सटे इजरायल के उत्तरी हिस्सों में लगातार रॉकेट दागे जा रहे हैं, जिससे वहां के इसरायली नागरिकों में दहशत फैली हुई है। इजरायली एयर डिफेंस सिस्टम ने कुछ रॉकेटों को रोका, लेकिन कई रॉकेटों से इजरायली इलाकों में आग लगने की खबरें आई हैं।

स्थिति इस कदर गंभीर हो चुकी है कि संयुक्त राष्ट्र और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने इस संघर्ष में हस्तक्षेप करने और दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने एक बयान में कहा कि "इस तरह की हिंसा से केवल विनाश और मानवीय त्रासदी होगी, और इससे किसी भी पक्ष को लाभ नहीं होगा।"

बेरूत में भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं। शहर के कई हिस्सों में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है, और लोग सुरक्षित जगहों की तलाश में अपने घर छोड़कर जा रहे हैं। कई परिवार अपने प्रियजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उनकी चिंताएं और बढ़ गई हैं।

अल-क़र्द अल-हसन बैंक, जो हिज़्बुल्लाह के मुख्य आर्थिक स्रोतों में से एक माना जाता है, के कई शाखाओं पर इजरायली हमलों के बाद अब यह देखना होगा कि हिज़्बुल्लाह की आर्थिक स्थिति पर इसका कितना गहरा असर पड़ता है। इस बैंक पर पहले से ही अमेरिकी प्रतिबंध लगे हुए हैं, और अब इजरायली हमलों ने इसे और कमजोर कर दिया है।

आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या यह संघर्ष और बढ़ता है या कोई कूटनीतिक समाधान निकलता है। फिलहाल, दोनों पक्ष एक-दूसरे पर लगातार हमले कर रहे हैं, जिससे नागरिकों की जान और माल का भारी नुकसान हो रहा है।

जैसे-जैसे यह संघर्ष बढ़ रहा है, लेबनान के नागरिकों पर इसका प्रभाव भी गहराता जा रहा है। बेरूत में, जहां कभी व्यापार और सांस्कृतिक गतिविधियाँ पूरे जोरों पर थीं, अब वहां का वातावरण तनावपूर्ण और अनिश्चितता से भरा हुआ है। रोज़मर्रा की जिंदगी पूरी तरह से ठप हो चुकी है, और सड़कों पर सिर्फ घबराए हुए नागरिक दिखाई दे रहे हैं जो सुरक्षित स्थानों की तलाश में हैं।

धमाकों से प्रभावित क्षेत्रों में कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, और लोगों का कहना है कि वे लगातार हवाई हमलों की आवाज़ों से भयभीत हैं। बेरूत के अस्पतालों में घायलों की संख्या बढ़ती जा रही है, और चिकित्सा सेवाओं पर भी भारी दबाव है। स्थानीय राहत एजेंसियाँ बेघर लोगों की सहायता के लिए प्रयास कर रही हैं, लेकिन मौजूदा हालात में संसाधनों की भारी कमी महसूस की जा रही है।

इजरायल की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि उनकी यह सैन्य कार्रवाई तब तक जारी रहेगी जब तक कि हिज़्बुल्लाह की सैन्य और वित्तीय ताकत को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर दिया जाता। इजरायल के सैन्य अधिकारियों का कहना है कि वे हिज़्बुल्लाह के हर उस स्रोत को निशाना बना रहे हैं जिससे यह संगठन अपने लड़ाकों को हथियार और फंड मुहैया कराता है। इजरायल का दावा है कि इन हमलों के जरिए उन्होंने हिज़्बुल्लाह के कई महत्वपूर्ण ठिकानों को तबाह कर दिया है, जिनमें उनके गोला-बारूद के भंडार और खुफिया मुख्यालय शामिल हैं।

इस बीच, हिज़्बुल्लाह की ओर से भी कोई झुकाव दिखाने के संकेत नहीं मिल रहे हैं। उनके प्रवक्ताओं ने यह दावा किया है कि वे इजरायल के हर हमले का जवाब देंगे और अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। हिज़्बुल्लाह ने इजरायल के खिलाफ अपने रॉकेट हमलों को और तेज कर दिया है, जिससे इजरायल के उत्तरी हिस्सों में भारी नुकसान हो रहा है।

स्थिति को और जटिल बनाते हुए, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी इस संघर्ष को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ देश इजरायल के इस कदम का समर्थन कर रहे हैं, तो वहीं कुछ देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना (UNIFIL) के जवानों पर भी हमलों की खबरें आ रही हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों को झटका लगा है।

जैसा कि संघर्ष लगातार जारी है, लेबनान और इजरायल के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। एक तरफ, इजरायल के नागरिक हिज़्बुल्लाह के रॉकेट हमलों से बचने के लिए बंकरों और सुरक्षित स्थानों में शरण ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ, लेबनान में हवाई हमलों से बचने के लिए लोगों को अपने घर छोड़ने पड़ रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए कोई ठोस कूटनीतिक कदम नहीं उठाए गए, तो यह पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है। पहले से ही, लेबनान की अर्थव्यवस्था गहरे संकट से गुजर रही थी, और इस संघर्ष ने उस पर और ज्यादा बोझ डाल दिया है।

यह स्थिति केवल सैन्य शक्ति के बल पर हल होने वाली नहीं है। क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए राजनीतिक संवाद और कूटनीतिक प्रयासों की जरूरत पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है। दोनों पक्षों को युद्धविराम की ओर बढ़ने और बातचीत के जरिए इस लंबे और खतरनाक संघर्ष का समाधान ढूंढने की आवश्यकता है।

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