वैक्सीन लगवाने के बावजूद क्यों हो रहा है कोरोना ? जानिये इसके मुख्या कारण | Why People Is Getting Effected With Corona Despite Having Vaccination? Know The Main Reason.

वैक्सीन लगवाने के बावजूद क्यों हो रहा है कोरोना ? जानिये इसके मुख्या कारण | Why People Is Getting Effected With Corona Despite Having Vaccination? Know The Main Reason.

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अमेरिका में वैक्सीन लगवाने के बावजूद भी हो रहा है कोरोना, वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन ने 3 कारण बताए; तीनों मामलों में भारत की हालत दूसरे मुल्कों से बेहद खराब |

पिछले दिनों टेक्सास के 6 डेमोक्रेटिक सदस्य, व्हाइट हाउस की एक सहायक और स्पीकर नैन्सी पेलोसी के सहायक को भी वैक्सीन लगने के बावजूद कोरोना हो गया। पिछले कुछ सप्ताह से अमेरिका में कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने के बावजूद पॉजिटिव केस लगातार सामने आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स इसकी 3 प्रमुख वजह बता रहे हैं। पहली- अमेरिका में तेजी से फैलता घातक डेल्टा वैरिएंट। दूसरी- धीमी गति से वैक्सीनेशन और तीसरा- तकरीबन सभी पाबंदियों का खत्म हो जाना। इधर, भारत में इन तीनों मामलों में हालात अमेरिका से खराब है।   

अमेरिका में इन दिनों जितने भी लोग कोरोना पॉजिटिव आ रहे हैं, उनमें से 83% को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। इसका एक दूसरा पहलू ये भी है कि अस्पतालों में भर्ती हो रहे करीब 4% लोग ऐसे हैं जिनका वैक्सीनेशन हो चुका है। अपने देश की ICMR यानी इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की तरह अमेरिका में काम करने वाली CDC यानी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल अप्रैल से वैक्सीनेशन के बावजूद गंभीर कोरोना और मौत के कुल 5500 से ज्यादा मामले रिकॉर्ड कर चुकी है।

भारत में तीनों मामलों में हालात अमेरिका से ज्यादा खराब

अमेरिका में एक्सपर्ट वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना होने की जिन तीन वजहों को गिना रहे हैं, उन मामलों में भारत की स्थिति और भी ज्यादा खराब है।

डेल्टा वैरिएंटः भारत में इन दिनों रोज कोरोना के करीब 40 हजार नए मामले मिल रहे हैं। ICMR की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इनमें करीब 87% डेल्टा वैरिएंट के ही मामले हैं।

धीमा वैक्सीनेशन : अमेरिका में 23 जुलाई तक 49% आबादी को वैक्सीन की पूरी डोज दी जा चुकी है। वहीं भारत में केवल 6.4% लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज दी गई थी।

ढीली पाबंदियां : अमेरिका में CDC ने वैक्सीन की सभी डोज लेने वालों को मास्क न पहनने की छूट के साथ सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर भी नियम काफी ढीले कर दिए हैं। वहां लॉकडाउन भी नहीं है। वहीं, भारत में मास्क न पहनने की छूट तो नहीं दी गई है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार मास्क पहनने वालों की तादाद 74% कम हो चुकी है। तकरीबन सभी राज्यों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां खत्म कर दी गई हैं। हर जगह भारी भीड़ है।

मास्क की छूट खत्म हो, वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना फैला सकते हैं लोग: एक्सपर्ट

वैक्सीन लगवाने के बाद भी कोरोना होने का मतलब यह नहीं है कि वैक्सीन काम नहीं कर रही हैं, बल्कि यह है कि वैक्सीन की कामयाबी बीमारी से बचाव को लेकर उठाए गए कदमों पर निर्भर करती है।

वैक्सीन लगवाने के बाद कोई भी पूरी तरह वायरस से सुरक्षित नहीं होता है। उल्टा वैक्सीनेशन के बाद बिना लक्षणों वाला पॉजिटिव शख्स दूसरों को कोरोना फैला सकता है। यानी वो कोरोना का कैरियर भी बन सकता है।

अमेरिका में कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की सलाह के उलट वैक्सीन लगवा चुके लोगों को भी घरों के भीतर और भीड़भाड़ वाली जगहों जैसे मॉल या कन्सर्ट हॉल में मास्क पहनना चाहिए।

इसके बावजूद CDC ने स्थानीय प्रशासन को कोरोना फैलने के हिसाब से मास्क को लेकर नीति में बदलाव की छूट दे रखी है। इसी आधार पर कैलिफोर्निया और लॉस एंजिल्स काउंटी में स्वास्थ्य अधिकारी इंडोर मास्किंग की ओर लौटना चाहते हैं।

शायद इसी वजह से भारत में इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) की सलाह पर देश भर में वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने वालों को भी मास्क पहनना जरूरी है।

डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित लोग ज्यादा फैला सकते हैं कोरोना

कोरोना के डेल्टा वैरिएंट को लेकर बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। इसे लेकर एक्सपर्ट्स में अनिश्चितता है। हालांकि यह भी कोरोना के दूसरे वैरिएंट्स की तरह आमतौर पर बंद जगहों पर सांस के साथ फेफड़ों के भीतर पहुंचता है। मगर डेल्टा वैरिएंट कोरोना के मूल वायरस से दोगुनी तेजी से फैलता है।

डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित शख्स में कोरोना के मूल वैरिएंट के मुकाबले 1000 गुना ज्यादा वायरस होते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि ऐसा शख्स गंभीर रूप से बीमार होगा, बल्कि इसके मायने यह हैं कि डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित शख्स लंबे समय तक ज्यादा लोगों को बीमार कर सकता है।

आखिर क्यों वैक्सीनेटेड लोग हो रहे संक्रमित?

भारी मात्रा में डेल्टा वैरिएंट से सामना होना वैक्सीनेटेड शख्स का सामना अगर कोरोना वायरस की कम मात्रा से होता है तो उसे आमतौर पर संक्रमण नहीं होगा। मगर अगर उसका सामना डेल्टा वैरिएंट के भारी मात्रा से हुआ तो वैक्सीन से तैयार उसका इम्यून सिस्टम वायरस को रोक नहीं पाएगा। ऐसे हालात में अगर जल्द से जल्द ज्यादातर आबादी को वैक्सीन की सभी डोज नहीं लगीं तो वायरस को फैलने के लिए काफी बड़ी आबादी मिल जाएगी।

वैक्सीन से पैदा हुए एंटीबॉडीज की ताकत कितनी है? वैक्सीनेटेड शख्स कभी संक्रमित होगा या नहीं, यह इस बात निर्भर करेगा कि टीकाकरण के बाद रक्त में एंटीबॉडी कितने ज्यादा बढ़ गए हैं? वो एंटीबॉडी कितने ताकतवर हैं? और वैक्सीनेशन के बाद पैदा हुए एंटीबॉडी समय के साथ कितने कम हो गए? तीनों स्थितियों में वैक्सीन से तैयार इम्यून सिस्टम को कोरोना होने के तुरंत बाद ही पहचानना होगा ताकि ज्यादा नुकसान न हो सके।

जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी, वो भी बरत रहे लापरवाही न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के चीफ एडिटर डॉ. एरिक जे रुबिन का कहना है कि जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी है, उनमें से ज्यादातर लोग सावधानी नहीं बरत रहे हैं। इस महामारी में हम सभी दूसरों के व्यवहार के चलते संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। यहां दूसरों के व्यवहार का मतलब है- मास्क पहनना, भीड़ से बचना, डिस्टेंसिंग बनाए रखना, हैंड सैनिटाइजेशन जैसी बातों को अपने व्यवहार में लाना।

वैक्सीन की छतरी बारिश से बचा सकती है, चक्रवात से नहीं

न्यूयॉर्क में बेलेव्यू हॉस्पिटल सेंटर में संक्रामक बीमारियों के स्पेशलिस्ट डॉ. सेलनी गौंडर का कहना है कि वैक्सीन उतनी ही सुरक्षा देती हैं, जितना एक छतरी बारिश में देती है, लेकिन अगर आप इस छतरी के साथ हरिकेन यानी चक्रवात में बाहर चले जाएंगे तो भीग तो जाएंगे ही। बिल्कुल यही हालात डेल्टा वैरिएंट ने बनाए हुए हैं।

वैक्सीन सीट बेल्ट जैसी, लगी हो तो भी सेफ ड्राइविंग जरूरी

बोस्टन में ब्रिघम एंड वूमेन हॉस्पिटल में एपिडेमोलॉजिस्ट डॉ. स्कॉट ड्राइडन पीटरसन कहना है कि यह ठीक वैसा ही है जैसे सीट बेल्ट जोखिम कम करती है, लेकिन सावधानी से ड्राइव करने की जरूरत है। हम अभी भी यह पता लगा रहे हैं कि डेल्टा वैरिएंट के इस दौर में सावधानी से ड्राइव करने का मतलब क्या है और हमें क्या करना चाहिए?

ब्रेक थ्रू इंफेक्शन को रोकने के लिए बूस्टर डोज जरूरी

न्यूयॉर्क में रॉकफेलर यूनिवर्सिटी में एक इम्यूनोलॉजिस्ट मिशेल सी का कहना है कि जब तक लोगों को एक निश्चित समय के बाद बार-बार बूस्टर डोज नहीं देंगे तो वैक्सीनेशन के बाद होने वाले संक्रमण को नहीं रोका जा सकता।

लोगों को समझाना होगा- कोई वैक्सीन 100% कारगर नहीं

ह्यूस्टन के बैलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में जेनेटिसिस्ट (आनुवंशिकीविद्) क्रिस्टन पंथागनी का कहना है कि स्वास्थ्य अधिकारियों को जनता को यह समझने में मदद करना चाहिए कि वैक्सीन केवल वही कर सकती हैं जिसके लिए वो बनाई गई है। यानी लोगों को गंभीर रूप से बीमार होने से बचाना। किसी भी वैक्सीन से 100% कारगर होने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। यह बहुत बड़ी उम्मीद है।

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