ओवैसी तथाकथित सेक्युलर पार्टियों के हाशिये पर क्यों? क्यों है ओवैसी से इतना डर | Why Owaisi at the Target of So-Called Secular Parties? Why They Are So Afraid From Owaisi?

ओवैसी तथाकथित सेक्युलर पार्टियों के हाशिये पर क्यों? क्यों है ओवैसी से इतना डर | Why Owaisi at the Target of So-Called Secular Parties In India? Why They Are So Afraid From Owaisi?

muslim-rajneeti-ka-chehra-asaduddin-owaisi

असदुद्दीन ओवैसी हमेशा मुसलमानो से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए तथाकथित सेक्युलर पार्टियों के हाशिये पर रहे हैं और रहे भी क्यों ना आखिर आज़ादी के बाद से लेकर आजतक मुस्लिम वोटों का धुर्वीकरण करना, उन्हें अपना वोट बैंक समझना और उन्हें इस्तेमाल करने में इन्ही सेक्युलर पार्टियों का योगदान रहा है जो अब आहिस्ता आहिस्ता खींचता हुआ दिखाई दे रहा है क्योंकि 75% हिन्दू वोट तोह भाजपा को जाते हैं; ऐसे में कांग्रेस और दूसरे सेक्युलर पार्टियों का तिलमिलाना साफ़ समझा जा सकता है। चाहे कांग्रेस हो, या समाजवादी पार्टी, या फिर बहुजन समाजवादी पार्टी इन्होंने वोट तो मुसलमानो से ज़रूर लिए पर आजतक मुसलमानो को उसके इवज़ गुठली ही पकड़ाया है! 

नाम निहाद कांग्रेस पार्टी जिस पर हमेशा मुसलमानो के लिए सहानभूति रखने का इलज़ाम भाजपा लगाता  रहा है वह यह बताएं की आखिर कांग्रेस ने पिछले 70 सालों में उन मुसलमानो के लिए किया किया है? कितने कॉलेज खुलवाए, कितनी नौकरियां दीं, बेरोज़गारी से जूझ रहे मुसलमानो के लिए कितने प्रतिशत आरक्षण दिया है। 

कांग्रेस आज के तारीख में हिन्दुओं के लिए ठीक उसी तरह अछूत बनकर रह गया है जो कभी 2 सीट पाने वाले भाजपा की हुआ करती थी। लोकसभा चुनाव यह साफ़ तौर पर दर्शाता है की किस तरह हिन्दू वोटों का धुर्वीकरण हुआ है, किस तरह 75% हिन्दू वोट भाजपा को जाते हैं; तोह किया ऐसे में सिर्फ मुस्लिम वोटों के लिए ओवैसी को ज़िम्मेदार ठहराना सही है? बिलकुल भी नहीं। मुसलमानो को कोसना बंद करे और कांग्रेस अपने गिरते हुए अस्तित्व को बचाने की कोशिश करे!

मुसलमानो को कोसने या असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधने के बजाये कांग्रेस अपने इतिहास पर ज़रा रौशनी डाल ले तोह यह साफ़ देखा जा सकता है की भाजपा के लिए हिन्दू पोलराइजेशन करने में कांग्रेस ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। आरएसएस से लेकर दर्जन भर हिन्दू कट्टरपंथी संस्थानों को फलने फूलने देने के लिए कांग्रेस और यही तथाकथित राज्य पार्टियां हैं जिनके ज़ेरे साया सब अंजाम पाता रहा और यह कट्टरपंथी जमातें फलते फूलते रहीं। आज के समय में भारत के संसद में कुल 27 मुस्लिम सांसद हैं जो दीगर पार्टियों से हैं मगर किया किसी ने बाबरी मजीद के जजमेंट को चैलेंज करने की बात कही, कितने सांसदों ने कश्मीर पर कोई बड़ा धरना प्रदर्शन किया? कितने पार्टियों ने एनआरसी का बहिष्कार किया। फिर जब ओवैसी इन वाजिब मुद्दों पर आवाज़ उठता है तोह उसे क्यों मुस्लिम वोटों के लिए पॉलिटिक्स करने के साथ जोड़ा जाता है? 

टिप्पणियाँ