बुलंदशहर हिंसा: जमानत पर रिहा सात आरोपियों का फूल माला से किया गया भव्य स्वागत । Bulandshahr Violence: Heroic Welcome For 7 Bhagwa Rioters Accused Out On Bail.
बुलंदशहर हिंसा: जमानत पर रिहा सात आरोपियों का फूल माला से किया गया भव्य स्वागत । Bulandshahr Violence: Heroic Welcome For 7 Bhagwa Rioters Accused Out On Bail.
जैसे ही भगवा दंगाइयों ने बुलंदशहर जेल से बाहर कदम रखा, उन सात आरोपियों को 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारों के साथ फूल माला पहनाई गई और बधाई दी गई।
भाजपा के सरकार में यह पहला मामला नहीं है जब किसी आरोपी को फूल माला पहना कर सम्मानित किया गया हो बल्कि इस से पहले ऐसे कई मामले सामने आये हैं जहाँ ना सिर्फ भगवा समर्थक बल्कि भाजपा के दिग्गज नेताओं ने इस तरह के घिनौने अपराधियों का फूल माला से सुवागत किया हो।
पिछले साल बुलंदशहर में गोहत्या की हिंसा में एक पुलिस निरीक्षक सुबोध कुमार की हत्या के आरोप में सात भगव धारियों को धार दबोचा गया था मगर हाल ही में उन सातों आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया जिसके बाद भगवा समर्थकों द्वारा इन हत्यारों और दंगाइयों को एक हीरो के जैसे स्वागत किया गया।
शनिवार रात को जैसे ही यह आरोपी बुलंदशहर जेल से बाहर आए, सातों आरोपियों को 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाकर बधाई दी गई। बाद में, समर्थकों ने इन सातों महान पुरुषों के "सम्मान" में एक "स्वागत योग्य पार्टी" भी रक्खी।
रविवार रात को सोशल मीडिया पर 'पार्टी' का एक वीडियो भी साझा किया गया जिसके बाद यह मामला सोशल मीडिया द्वारा सामने आया।
भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के सदस्य शिखर अग्रवाल और सेना के एक जवान जितेंद्र मलिक जमानत पर रिहा किए गए जो उन सात आरोपियों में शामिल थे।
बुलंदशहर के सियाणा के महाव गांव के पास एक गन्ने के खेत में एक गाय का शव मिलने के बाद 3 दिसंबर को भयानक हिंसा हुई थी जिसके बाद इन सातों आरोपियों को पकड़ा गया था जिन्होंने यह कांस्पीरेसी रची थी और उस हिंसा का सहारा लेते हुए भगवा आतंकियों ने सुबोध कुमार की बेरहमी से हत्या कर दी थी।
हिंसा में सियाणा के स्टेशन हाउस अधिकारी सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय युवक सुमित कुमार की मौत हो गई थी और चिंगरावती पुलिस पिकेट में भगवा आतंकियों द्वारा आग लगा दी गई थी।
हिंसा के तुरंत बाद, पुलिस ने 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 395 (डकैती), 333 (लोक सेवक को गंभीर चोट) सहित एक दर्जन से अधिक आईपीसी की धाराओं के तहत हिंसा में 27 नामजद और 60 से अधिक अज्ञात लोगों का नाम दर्ज किया साथ ही इन सभों पर धरा 124 ए (राजद्रोह) भी लगाया गया था मगर यह सातों भगवा आतंकी आज जेल से बहार हैं और फूल मालाओं से उनका स्वागत किया जा रहा है।
बुलंदशहर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह ने बताया कि रिहा किए गए सातों आरोपियों को किसी भी कठोर धाराओं का सामना नहीं करना पड़ा और ना ही उनपर दंगा भड़काने और हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया जो बेहद आश्चर्यजनक है।
“कुल 10 लोगों को जमानत दी गई है, जिनमें से सात को रिहा कर दिया गया।
इस मामले में आरोपी जीतेन्द्र मलिक, जो की राष्ट्रीय राइफल्स के एक आर्मी मैन और जम्मू-कश्मीर के सोपोर में तैनात था, उसे 9 दिसंबर को उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (यूपी एसटीएफ) द्वारा गिरफ्तार किया गया था, जिसका नाम मुख्य साजिशकर्ता के रूप में सामने आया था और जो इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के हत्या में मुख्या आरोपी थे लेकिन, उस पर हत्या का आरोप नहीं लगाया गया।
मीडिया से बात करते हुए जीतेन्द्र मालिक आरोपी ने कहा, 'हमने राहत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिसमें हमें जमानत दी गई ।
एक महीने से अधिक समय तक फरार रहने के बाद भाजयुमो नेता अग्रवाल को इस साल जनवरी में हापुड़ जिले से गिरफ्तार किया गया था।
हत्या या हिंसा के आरोपी लोगों के लिए इन हिन्दू वर्गों के बीच भरी समर्थन मिलता रहा है चाहे वह हत्यारा हो या बलात्कारी हिन्दू समुदाय के विशेष तबके ने हमेशा ऐसे लोगों का समर्थन किया है। 2017 में, शंभू लाल रायगर जिस पर राजस्थान में एक मुस्लिम मजदूर की हत्या का आरोप था और जिसने इस क्रूर हत्या को फिल्माया भी था, हिन्दुओं के एक वर्ग ने उसके लिए भरी समर्थन राशि भी जुटाई थी साथ ही उसके समर्थन में सड़कों पर भी उतरे थे।
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