जय श्री राम बंगाली संस्कृति का हिस्सा नहीं है : नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन | Jai Shri Ram is not part of Bengali culture: Nobel laureate Amartya Sen.
जय श्री राम बंगाली संस्कृति का हिस्सा नहीं है : नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन | Jai Shri Ram is not part of Bengali culture: Nobel laureate Amartya Sen.
जय श्री राम का नारा बंगाली संस्कृति से जुड़ा हुआ बिलकुल भी नहीं है, "नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने ज़ोर देते हुए कहा। उनकी यह टिप्पणी देश के उन हिस्सों में रहने वाले हिन्दुओं के लिए दी गई जो मुस्लिम धर्म के लोगों को 'जय श्री राम' का जबरन जाप करने के लिए मारते पीटते और हुड़दंग मचाते हैं यहाँ तक की वह अगर ऐसा कहने के लिए मना करते हैं तोह वह भगवा लोग उनकी जान तक ले लेते हैं।
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने शुक्रवार को कहा कि 'जय श्री राम' कभी भी पश्चिम बंगाल की संस्कृति का हिस्सा नहीं था और "इसका उपयोग हिन्दुओं द्वारा मुसलमानो को मारने पीटने के बहाने" के रूप में किया जाता है। हमारे यहाँ 'मां दुर्गा' हैं, जो हम बंगालियों के जीवन में सर्वव्यापी हैं, सेन ने जादवपुर विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा।
"जय श्री राम का नारा बंगाली संस्कृति से जुड़ा हुआ नहीं है," उन्होंने आगे कहा कि आजकल राम नवमी बंगाल में लोकप्रियता हासिल कर रही है जो मैं ने पहले कभी नहीं सुना था"।
"मैंने अपने चार साल के पोते से पूछा कि तुम्हारा पसंदीदा देवता कौन है? उसने जवाब दिया कि माँ दुर्गा है। माँ दुर्गा हमारे जीवन में बहुत ही सर्वव्यापी है," उन्होंने आगे कहा।
अर्थशास्त्री ने कहा, "मुझे लगता है कि जिस तरह से जय श्री राम के नारे लगाए जाते हैं उसका मकसद ही हिन्दुओं द्वारा दीगर लोगों को मारने पीटने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।"
उनकी यह टिप्पणी देश के उन हिस्सों में रहने वाले हिन्दुओं के लिए दी गई जो मुस्लिम धर्म के लोगों को 'जय श्री राम' का जबरन जाप करने के लिए मारते पीटते और हुड़दंग मचाते हैं।
देश में गरीबी पर बोलते हुए, सेन ने कहा कि गरीब लोगों की केवल आय स्तर बढ़ने से उनकी दुर्दशा कम नहीं होगी।
उन्होंने कहा, "बुनियादी स्वास्थ्य सेवा, उचित शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा से गरीबी को कम किया जा सकता है।"
अमर्त्य सेन की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि सेन को राज्य की जमीनी सच्चाई से अलग कर दिया गया है क्योंकि वह यहां ना तो रहते हैं और ना ही यहाँ काम करते हैं।
बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि "उन्हें न तो बंगाली संस्कृति ना ही भारतीय [भारतीय] संस्कृति का ज्ञान है। इसके लिए यहां लोगों के साथ रहने की जरूरत होती है। जब पूरा पश्चिम बंगाल जय श्री राम का नारा लगा रहा है, तो वह इस से इनकार नहीं कर सकते हैं। आगे उन्होंने कहा की आश्चर्य है कि बंगाल के लोगों ने उनकी इस विचारधारा को सरे से खारिज कर दिया है। बंगाल के लोगों ने ऐसे कम्युनिस्ट-धर्मनिरपेक्षतावादियों को खारिज कर दिया है और यह सुनिश्चित किया है कि राज्य भर में केवल जय श्री राम ही गूंजेंगे।
केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कहा, "मैं नोबेल पुरस्कार जीतने और बंगालियों को गौरवान्वित करने के लिए श्री सेन को बधाई देना चाहता हूं। हर कोई अपनी विचारधारा पर विश्वास करने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन हम जो कहते हैं, उसके लिए हर किसी को जिम्मेदार होना चाहिए। उन्होंने गरीबी को परिभाषित किया है।" पता नहीं क्यों वह संस्कृति को परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है। ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे पता चलता है कि वह बंगाली संस्कृति को स्वीकार करना ही नहीं चाहते हैं। भाजपा किसी को जय श्री राम का जाप करने के लिए मजबूर नहीं कर रही है।"
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