ईवीएम नहीं बल्कि हिंदू दिमाग में धांधली हुई है: असदुद्दीन ओवैसी । Hindu Minds Have Been Rigged, Not EVMs: Asaduddin Owaisi.
ईवीएम नहीं बल्कि हिंदू दिमाग में धांधली हुई है: असदुद्दीन ओवैसी । Hindu Minds Have Been Rigged, Not EVMs: Asaduddin Owaisi.
देश का मिज़ाज और हवा का रुख अब भारत के मुसलमानो को समझ लेना चाहिए । इस लोकसभा इलेक्शन के नतीजे ने यह बात साफ़ कर दिया है की बहुसंख्यक समुदाय ने चाहे वह पढ़े लिखे हों या अनपढ़ हों उन्होंने सेकुलरिज्म को सरे से नकार दिया है और इसके पीछे हिंदुत्ववादी ताक़तों ने जिनमें आरएसएस, विहिप, बजरंगदल,हिन्दू युवा वाहिनी और हिन्दू महासभा ने बेहद आक्रामक रोल अदा किया है । इन संगठनों ने समाजी सेवा के नाम पर सालों तक ग्राउंड लेवल पर मेहनत की और हिन्दुओं के बीच अपनी साख बनाई फिर जब साख ने मज़बूती पकड़ ली और उनकी जमातों में लाखों की तादाद में राष्ट्र स्वयं सेवकों की भर्ती हो गई तब उन्होंने अपना तेवर सामाजिक कार्यकर्त्ता से बदलते हुए भाजपा को मज़बूत करना शुरू किया ।
वक़्त के साथ साथ इन हिंदुत्ववादी संगठनों के लोग भाजपा में आते गए । जड़ तोह पकड़ ही चुकी थी गोया अब इसे मज़ीद मुस्तहकम बनाना ज़रूरी था जिसके लिए इन हिंदुत्ववादी संगठनों ने जगह जगह धमाके करना शुरू किया जिसमें मक्का मस्जिद ब्लास्ट अहम् है और जिसे पहले पहल मुस्लिम संगठनों पर डाला गया ताकि हिन्दुओं के दिलों में खौफ और नफरत को मज़ीद भड़काया जा सके । हालात अनुकूल थे लिहाज़ा वहां से भाजपा मज़बूत होते गई । अब एक ऐसा लीडरशिप हिन्दुओं को चाहिए था जो आक्रामक हो और फिर नरेंद्र मोदी का गुजरात मॉडल सामने आया जिसने देश के बहुसंख्यक समुदाय को उनका नेता और हीरो बना दिया ।
बाक़ी की कहानी आपको पता है लिहाज़ा आजके माहौल में अगर देश का मुस्लमान यह सोच रहा है की वह हिन्दू मुस्लिम भाई भाई वाले देश में रह रहा है तो वह खुद को हकीकत से दूर रखने की कोशिश कर रहा है और हकीकत से आँखें चुरा रहा है । २०१९ के इस चुनाव में जिसतरह से सेक्युलर ताक़तों की देश भर में हार हुई है उस से मुसलमानो को अपनी आगे की सिआसत और रणनीति में बदलाव लाने की ज़रूरत है । इस चुनाव में मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन के प्रमुख असद उद्दीन ओवैसी आगे रहे और चुनाव में अपनी जीत दर्ज की । वह एक दूरंदेश और बेबाक सोच रखने वाले ऐसे मुस्लिम नेता हैं जिन्होंने हमेशा हर मुस्लिम मुद्दे पर अपनी आवाज़ बुलंद की है और करते रहे हैं । लिहाज़ा इशारा आपको मिल चूका है की देश के मिजाज़ के अनुसार मुसलमानो को आगे की लड़ाई लड़ने के लिए अब किया रणनीति अपनानी है और किसी अपना समर्थन देना है । चुनाव के नतीजों के बाद असद उद्दीन ओवैसी ने मीडिया से बात करते हुए साफ़ किया की एवं में बदलाव नहीं आया बल्कि हिन्दुओं की मानसिकता बदल चुकी है और यह जितना जल्दी मुस्लमान समझ ले उतना बेहतर है । असदुद्दीन ओवैसी ग्राउंड फील्ड पर काम करने वाले नेता हैं और वह इस बात को बेहतर तरीके से जानते हैं के देश के हिन्दुओं के मिजाज़ में भरी परिवर्तन आया है । सेकुलरिज्म का ठेका इस समय अकेला मुस्लमान ही उठा रहा है जबकि बहुसंख्यक समाज ने इसे सरे से नकार दिया है लिहाज़ा हर ईंट का जवाब पत्थर से देना होगा । अब मुसलमानो को निसंकोच होकर आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन को समर्थन देना ज़रूरी है ताकि आगे चल कर इन सम्प्रदायक ताक़तों के खिलाफ मोर्चा खड़ा किया जा सके।
मुस्लिम संस्थानों को आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन को अपना समर्थन देना होगा और एक बड़ी पार्टी के रूप में मजलिस को राष्ट्र्य लेवल पर लाना होगा । असद उद्दीन ओवैसी को इन हालात का फायदा उठाते हुए आक्रामक रूप से आगे बढ़ना होगा । नॉन पोलिटिकल मुस्लिम इदारों को भी अब मुसलमानो के बीच सिआसि बेदारी लाते हुए मजलिस को आगे बढ़ाने की जद्दोजहद करनी होगी वर्ण अगर कांग्रेस स्पा और बसपा के सहारे बैठे रहे तो बिखर कर रह जायेंगे लिहाज़ा साड़ी ताक़त मजलिस को आगे करने में लगा दें । जब इस देश के हिन्दुओं ने आपको यह बता दिया है की वह सेक्युलर इंडिया को नकार चुके हैं और अपने खीमे में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर जैसे आतंकियों को अपना समर्थन दे चुके हैं तो इस देश का मुस्लमान अकेला सेकुलरिज्म का बोझ क्यों उठाये फिरे। विकल्प आपके सामने है लिहाज़ा चुनाव आपको करना है की आपको टुकड़ों में बिखरना है या मजलिस को मज़बूत करते हुए अपनी ताक़त को स्थापित करना है।
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