असम पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, "नागरिकता विधेयक बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों में तनाव पैदा करेगा। Assam Chief Minister Tarun Gogoi, "Citizenship Bill Will Create More Tension In India's Relation With Bangladesh.
असम पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई, "नागरिकता विधेयक बांग्लादेश के साथ भारत के संबंधों में तनाव पैदा करेगा। Assam Former Chief Minister Tarun Gogoi, "Citizenship Bill Will Create More Tension In India's Relation With Bangladesh.
भारत्या जनता पार्टी द्वारा पारित किये गए विधेयक, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम प्रवासियों को शीघ्र नागरिकता प्रदान करना है, हाल ही में लोकसभा में पारित किया गया है।
गुवाहाटी: असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा है की जिस तरह से राज्य और केंद्र स्तर पर भाजपा नेताओं द्वारा नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2016 को चित्रित किया जा रहा है, वह ना केवल भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बनाएगा बल्कि दीगर मुसलमानो के बीच बेचैनी को भी पैदा करेगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में "धार्मिक उत्पीड़न" के दावे केवल बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना के पड़ोसी देश में धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखने के प्रयासों को कम करने के लिए हैं।
गोगोई ने एनडीटीवी के साथ साक्षात्कार करते हुए बताया की "इस बिल से दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण होंगे। वर्तमान बांग्लादेश शासन मददगार रहा है, और हसीना द्वारा सीमा पार से आतंकवादी शिविरों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्णय के कारण पूर्वोत्तर में शांति है। हिंदू अपने देश में सुरक्षित हैं। वहां दुर्गा पूजा के दौरान हर साल लोगों में बढ़ौतरी दिख रही है, और यहां आप अनावश्यक रूप से बांग्लादेश को हिन्दुओं का धार्मिक उत्पीड़न देश बता कर उसे खराब नाम दे रहे हैं,।
विधेयक, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम प्रवासियों को फास्ट ट्रैक नागरिकता प्रदान करना है, हाल ही में लोकसभा में पारित किया गया है।
गोगोई ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में असम के किसी भी व्यक्ति ने पड़ोसी बांग्लादेश से धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं माँगा। उन्होंने आगे कहा, "इस मामले पर चर्चा करने के लिए बांग्लादेश के मुख्यमंत्री के साथ मेरी लंबी टेलीफोनिक चर्चा हुई," उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के भाजपा के इस अभियान को शेख हसीना सरकार "गलत रोशनी" में चित्रित कर रही हैं जबकि बांग्लासदेश वहां रह रहे हिन्दुओं के लिए उतनी ही उदार वाली है जितना बाक़ी की जनसँख्या है।
यदि अधिनियम लागु किया जाता है, तो नागरिकता (संशोधन) विधेयक-2016 पड़ोसी राज्यों के हिंदुओं, जैनों, ईसाइयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को भारत में रहने के छह साल बाद ही नागरिकता प्राप्त करने में सक्षम होगा, भले ही उसके पास कोई दस्तावेज ना हो और इसके लिए हालिया प्रतीक्षा अवधि 12 वर्ष है।
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