ओवैसी जैसे शेर दिल, बेबाक और चालाक नेता की आज मुसलमानो को सख्त ज़रुरत | Muslims Need Brave Heart, Strong And Clever Leaderhip Like Owaisi In Every State Of India.

समय आ गया है की मुसलमानो के बीच ओवैसी जैसी शख्सियत को सामने लाया जाए |

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जिस तरह से राजनीती ने रुख फेरा है और जिस तरह से भगवा इन्तेहा पसन्द ताक़तों का रोज़ बा रोज़ उरूज हो रहा है आने वाले समय की दस्तक है के मुसलमानो को अब भारी तादाद में राजनीती के मैदान में कूदना होगा। मुसलमानो की यूँ तो दीगर पार्ट्यां हैं मगर सभों के बीच वह एकता नहीं जो होनी चाहिए। इस समय जिसने पुरे मुसलमानो को सोचने पर मजबूर किया है और जिसने अपनी बेबाक बोल से मुसलमानो को जगाया है वह ओवैसी ही हैं लिहाज़ा मुसलमानो को ओवैसी को ज़्यादा से ज़्यादा सपोर्ट करना चाहिए।



हिन्दू संसथान जैसे की बीजेपी, आरएसएस, विहिप, बजरंग दल, हिन्दू युवा वाहिनी सभी ने अलग अलग पार्टियां ज़रूर बनाईं मगर सबने बीजेपी के लिए हर इलेक्शन में भाग लिया और हर मठ मंदिर और हिन्दू घरों तक अपनी पहुँच बनाई और बीजेपी को जितवाने के लिए ज़मीन हमवार किया। लिहाज़ा मुसलमानो को चाहिए की अपनी मसलक को एक तरफ रखकर मुस्लिम मफाद के लिए एक दूसरे को भरपूर समर्थन दें और ऐसी ताक़तों को सत्ता में लाएं जो पढ़ा हो, जिसके अंदर ईमान हो, जो बेबाक हो और जो साथ ही होशियार और चालाक भी हो।

सिर्फ कांग्रेस, बहुजन समाजवादी पार्टी और समाजवादी पार्टी के वफादार रहने और उनके तोते बनने से मुसलमानो का कोई भला नहीं होने वाला लिहाज़ा ज़रुरत है की अपनी पार्टी को मज़बूत करने के लिए पूरा मुस्लिम समुदाय लब्बैक बोलकर खड़ा हो जाए।



असदुद्दीन ओवैसी ने कई संवेदनशील मुद्दों पर अपनी आवाज़ बुलंद की है चाहे वह शरीयत में भाजपा की मदाखलत हो या फिर ट्रिपल तलाक़ का मुद्दा हो हर जगह मुसलमानो की अगवाई की है । हमने यह देखा की जब संसद में शर्यत को लेकर उसमें दखल अंदाज़ी की जा रही थी तो उस समय न तोह कांग्रेस के कोई मुस्लिम नेता आवाज़ उठा रहे थे और न ही किसी और पार्टी से मुस्लिम नेता सामने आये सिवाए असदुद्दीन ओवैसी के तोह फिर इन जैसे मुस्लिम सांसदों को मुस्लमान वोट किस लिए करे? किया उनके घर मकान, गाड़ियां और बाड़ियाँ बनाने के लिए? ज़रा सोचिये।

वक़्त और हालात गंभीर होते चले जा रहे हैं दर्जन भर से ज़्यादा हिंदुत्व कट्टरपंथी संसथान एक एक करके उठ रहे हैं जिन्होंने आहिस्ता आहिस्ता अपनी राजनीतिक ताक़त को बढ़ाया और वही आज भारत की अखंडता और सेकुलरिज्म को ठेंगा दिखा रहे हैं, जिनकी बयानबाजियां इतनी ज़्यादा बढ़ चुकी हैं की वह मुस्लिम समुदाय के ऊपर अपशब्द कहने से भी गुरेज़ नहीं करते। किया यह मुसलमानो की हद से ज़्यादा ख़ामोशी का नतीजा नहीं है जो यह सांप आज सर उठाये फिर रहे हैं?



हम सिर्फ यह कह रहे हैं की ज़्यादा से ज़्यादा मुसलमानो को राजनीती में लाया जाए जिनके अंदर दीनदारी, ईमानदारी, सूझबूझ और निडरता हो क्योंकि इस समय हमें ऐसे नुमायंदे की सख्त ज़रुरत है।

एडिटर : दी नेशनल इंटीग्रेशन

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