एनआरसी: सुप्रीम कोर्ट ने 40 लाख लोगों को राष्ट्र्य पंजीकरण करने की अनुमति दी तोह बीजेपी चीफ ने उन्हें मतदाताओं की सूची से निकल बाहर करने का गोहार किया | Supreme Court Allows 40 Lakh Excluded People To Re-Apply But BJP Amit Shah Says Will Kick Out From Electoral List.
एनआरसी: सुप्रीम कोर्ट ने 40 लाख लोगों को राष्ट्र्य पंजीकरण करने की अनुमति दी तोह बीजेपी चीफ ने उन्हें मतदाताओं की सूची से निकल बाहर करने का गोहार किया | Supreme Court Allows 40 Lakh Excluded People To Re-Apply But BJP Amit Shah Says Will Kick Out From Electoral List.
जयपुर - भारत के सुप्रीम कोर्ट ने असम के राष्ट्रीय नागरिक सूचि में 40 लाख लोगों को शामिल करने की इजाजत दी तोह वहीँ इस फैसले के बाद भारत की सत्तारूढ़ बह्ग्वा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें "घुसपैठया" कहा और उन्हें चुनाव सूचि से बहार करने की हामी भरी।
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में जहां बीजेपी सत्ता में है एक रैली को संबोधित करते हुए, अमित शाह ने शनिवार को कहा: "बीजेपी सरकार ने एनआरसी लाया और पहली बार लगभग 40 लाख घुसपैठयों की पहचान की।" उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठिए "टर्मिट्स" की तरह हैं और उनमें से हर एक को आगमी चुनाओं से बाहर किया जाएगा।
"बीजेपी सरकार एक-एक घुसपैठिये को चुन-चुन कर मतदाता सूचि से हटाने का काम करेगी," शाह ने अपनी धार्मिक कट्टरपंथी राजनीति का राग अलापते हुए यह भाषण दिए | राजस्थान; जहां बीजेपी सरकार और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे लोकप्रियता नुक्सान का सामना कर रहे हैं और पिछले दो सालों में विधानसभा और लोकसभा के सभी उप-चुनाव हार चुके हैं और जहाँ भगवा पार्टी भाजपा विपक्षी दल कांग्रेस से कठिन लड़ाई का सामना कर रही है।
राष्ट्र्य पंजीकरण दायर करने की प्रक्रिया 25 सितंबर से शुरू होने जा रही है और 60 दिनों तक चलती रहेगी लिहाज़ा यह ज़रूरी है की समाज के मुस्लिम वर्ग इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें और अन्य लोगों को भी इस से अवगत करें।
एनआरसी की मसौदा सूची जो बहस का हिस्सा बनी हुई है इस साल 30 जुलाई को सार्वजनिक कर दी गई थी। इस सूची में 3.29 करोड़ में से केवल 2.89 करोड़ लोगों के नाम लिस्ट में थे जिन्होंने नागरिकों के पंजीकरण में शामिल होने के लिए आवेदन किया हुआ था। असल में, 40 लाख से अधिक लोगों को छोड़ दिया गया था क्योंकि उनमें से अधिकतर लोग बंगाली भाषा बोल रहे थे इसलिए उन्हें बांग्लादेशी घुसपैठिए के नाम से नवाज़ दिया गया।
रिपोर्टों में कहा गया है कि 40 लाख बहिष्कृत लोगों में बंगाली, आसामी, राजस्थानि, मारवाड़ी, बिहारी, गोरखा, पंजाबी तथा अन्य भारतीय नागरिक भारत के ही चार दक्षिणी राज्यों से हैं और जो रोज़गार के अवसर के तहत असम में बहुत लंबे समय से रह रहे हैं। इस सूची में कई बहादुर सैनिकों, भारत के पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के परिवार, पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य निर्वाचित प्रतिनिधियों, नागरिक समाज के प्रमुख सदस्य भी शामिल हैं।
अब जबकि सर्वोच्च न्यायालय एनआरसी के अंतिम सूची की तैयारी की निगरानी कर रहा है, तो यह आश्चर्य की बात है की, राज्य और केंद्र दोनों में हालया सत्तारूढ़ भारत्या जनता पार्टी का मुखिया अमित शाह 40 लाख लोगों को मतदाता सूचि से बाहर निकालने का व्यापक बयान कैसे दे सकता है?
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