तुर्की को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए क़तर ने $15 बिलियन के निवेश का किया एलान | Qatar Emir Vows $15bn Investment In Turkey After Erdogan Meeting.

तुर्की को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए क़तर ने  $15 बिलियन के निवेश का किया एलान | Qatar Emir Vows $15bn Investment In Turkey After Erdogan Meeting.

Recep Tayyip Erdoğan Met Qatari Emir Sheikh Tamim bin Hamad Al Thani For Investment In Turkey 

अमेरिकी पादरी एंड्रयू ब्रूनसन को जेल से रिहा होने के बाद पिछले महीने तुर्की के इज़मीर में उसके घर पर बंदी बना कर रक्खा गया है जो की तुर्की के राष्ट्रपति रसेप तय्यिप एर्दोगान की सत्ता पलट की साज़िश में पूरी तरह से लिप्त पाया गया था।

ISTANBUL - अमेरिकी दबाओ के चलते तुर्की की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी है मगर अभी हालत थोड़ी स्थिर हुई है | पिछले हफ्ते डॉलर के मुक़ाबले लीरा 40 प्रतिशत नीचे गिर गया था | बता दें की अमेरिका अमेरिकी पादरी एंड्रयू ब्रूनसन की रिहाई की लगातार मांग कर रहा है और इसी के चलते अमेरिका ने तुर्की द्वारा आयात स्टील के सामानो पर कर दुगनी करदी है | जिसके चलते तुर्की को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है | तुर्की ने बुधवार को संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने तेजी से तनावपूर्ण कदम में अंतर्राष्ट्रीय समर्थन उस समय जीता जब कतर ने अपेक्षाकृत प्रतीकात्मक रूप से महत्वपूर्ण वित्तीय लाइफ लाइन के रूप में तुर्की में डॉलर 15 बिलियन का भारी निवेश करने की पेशकश रक्खी है ।

दोनों मुल्क के सरकारों के प्रतिनिधियों ने खुलासा किया है कि कतर के अमीर शेख तामीम बिन हमद अल-थानी, तुर्की के राष्ट्रपति रसेप तय्यिप एर्दोगान के बीच तुर्की की राजधानी अंकारा में दोपहर के खाने के बाद शेख तमीम बिन हमद ने तुर्की में 15 अरब डॉलर का निवेश करने का वचन दिया है ।

तुर्की के लीरा में तेज़ी से गिरावट के बाद तुर्की को अपने खराब कर्ज को बढ़ाने या डॉलर के कर्ज का भुगतान करने की आवश्यकता होगी, जो एक छोटा सा अंश है।

लेकिन तुर्की के समाचार मीडिया ने निवेश के वादे को उसी दिन श्री एर्डोगन की जीत के रूप में घोषित कर दिया था, जिस दिन तुर्की ने अमेरिकी पादरी एंड्रयू ब्रूनसन को रिहा करने के लिए दूसरी कानूनी अपील को सरे से खारिज कर दी थी। पलट में बुधवार को तुर्की ने भी अमेरिकी सामानों पर तेजी से टैरिफ बढ़ाए हैं और इलेक्ट्रॉनिक सामानो का बहिष्कार कर दिया है जिसमें सैमसंग कंपनी अहम् है और यह संयुक्त राज्य अमेरिका के दबाव के खिलाफ उठाया गया क़दम मन जा रहा है ।

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