बेशर्मी | पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 7 जून को नागपुर में हिन्दू कटटरपंथी संस्था आरएसएस को सम्बोधित करते हुए दिखाई देंगे । Shocking; Parnab Mukherjee Will Address RSS Swayamsevaks At RSS Headquarter !

बेशर्मी | पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 7 जून को नागपुर में हिन्दू कटटरपंथी संस्था आरएसएस को सम्बोधित करते हुए दिखाई देंगे । Shocking; Parnab Mukherjee Will Address RSS Swayamsevaks At RSS Headquarter !

Parnab Mukherjee and Mohan Bhagwat

देश के अंदर ऐसी कई हस्तियां देखि गयी हैं जो किसी न किसी तरह हिन्दू कट्टरपंथी संस्था आरएसएस से जुड़े हुए हैं मगर जब बात प्रणब मुख़र्जी की आयी तोह यह बेहद चौका देने वाला था के देश के पूर्व राष्ट्रपति को आखिर आरएसएस जैसे हिन्दू कट्टरपंथी संस्था में ऐसा किया दिखा जो उन्होंने मोहन भगवत के होने वाले कार्यक्रम में शिरकत करने की हामी भर ली, उन्हें आखिर किस चीज़ ने प्रेरित किया जो उन्हें आरएसएस में आकर्षण दिखाई देने लगा | वाईस प्रेजिडेंट हामिद अंसारी हमेशा से हिन्दू कट्टरपंथियों के हाशिये पर रहे हैं जबकि उन्होंने अपनी सेवा के बाद किसी पार्टी के पक्ष में नहीं बोले तोह फिर आज पूर्व राष्ट्रपति ऐसा कैसे कर सकते हैं जबकि वह एक ज़िम्मेदार पद पर रह चुके हैं |

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रणव मुखर्जी को "अच्छी शुरुआत" के रूप में निमंत्रण की स्वीकृति के लिए सराहा ।

नई दिल्ली:
  • प्रणव मुखर्जी आरएसएस मुख्यालय नागपुर में कार्यक्रम को संबोधित करने पर हुए सहमत 
  • पूर्व रेलवे मंत्री सीके जाफर शरीफ ने प्रणब मुख़र्जी को अपने फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया
  • कांग्रेस ने कहा कि पार्टी मुखर्जी के फैसले पर टिप्पणी नहीं करेगी


कांग्रेस ने सत्तारूढ़ बीजेपी के विचारधारात्मक सलाहकार आरएसएस की होने वाली एक समारोह में मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के आमंत्रण की स्वीकृति पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है। हालांकि, इस सन्दर्भ में एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता को पूर्व राष्ट्रपति को इस समारोह में शिरकत करने वाले मुद्दे पर लिखने से भी नहीं रोका, जिसमें उन्होंने प्रणब मुख़र्जी को अपने फैसले पर फिर से विचार करने का आग्रह किया, जिसने कांग्रेस और उसके बाद कई और लोगों को इस फैसले पर हैरान कर दिया।

पूर्व रेलवे मंत्री सीके जाफर शरीफ, जिन्होंने हाल ही में श्री मुखर्जी से उन्हें पुस्तक रिलीज समारोह के लिए आमंत्रित करने के लिए मुलाकात की थी, ने प्रणब मुख़र्जी को आड़े हाथों लेते हुए लिखा है कि वह यह समझने में असमर्थ हैं की मुख़र्जी आखिर किन कारणों से नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय की यात्रा के लिए आकर्षक दिखाई दे रहे हैं ।

पूर्व मंत्री ने बाद में यह भी कहा के, "मुख़र्जी के इस फैसले ने हमें चौंका दिया, इसलिए हमने उनसे पूछा कि उन्हें आखिर आरएसएस से किस बात की प्रेरणा मिली या उसमें आकर्षण दिखाई दिया जो वह अचानक आरएसएस कार्यालय जाने के लिए तैयार हो गए ।"

उन्होंने साथ ही यह भी कहा, "उन्हें देश के पूर्व राष्ट्रपति होने के नाते किसी भी ऐसी पार्टी से दुरी बनाये रखनी चाहिए जो समाज और जम्हूरियत के लिए खतरा हो"।

शरीफ का यह पत्र पूर्व राष्ट्रपति के कार्यालय में भेजने के फ़ौरन बाद सार्वजनिक कर दिया गया था ।

बता दें की शरीफ ने इस से पहले अप्रैल 2017 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के राष्ट्रपति के रूप में नामांकन के समर्थन के लिए भी खत लिख कर जवाब तलब किया था ।

जिसके बाद नरेंद्र मोदी ने इस मामले पर बहस करते हुए कहा था की मोहन भागवत भले ही अपने विचार के रूप में अलग तरह का स्कूल चलते हों "लेकिन उनकी देशभक्ति, भारत के लोगों के प्रति प्यार, देश के प्रति वफादारी के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए"।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नियमित रूप से देश को धार्मिक लाइनों पर विभाजित करने और रिमोट कंट्रोल द्वारा सरकार चलाने की कोशिश करने के लिए संगठन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस 7 जून को आरएसएस द्वारा मुख़र्जी को आमंत्रित किये जाने के फैसले पर टिप्पणी नहीं करेगी।

उन्होंने कहा के "समारोह का पर्स्ताओ दिया गया है मगर अभी समारोह हुआ नहीं है ... मैं इस मामले में और जानकारी इकट्ठा कर रहा हूं। फिलहाल मैं इस मामले में कोई टिपणी नहीं कर सकता ।"

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस मामले में प्रणब मुखर्जी को "अच्छी शुरुआत" के रूप में निमंत्रण को स्वीकृति करने का  वर्णन किया।

नितिन गडकरी ने कहा, "राजनीतिक छुआछूत अच्छी बात नहीं है।"

आरएसएस ने अपने पक्ष में बयानबाज़ी करते हुए कहा कि इस से पहले महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण भी आरएसएस के कार्यक्रम में अतिथि के रूप में भाग ले चुके हैं फिर प्रणब मुख़र्जी के लिए सवाल क्यों उठ रहे हैं ।

श्री वाडक्कन ने इस पर फ़ौरन अपनी प्रतक्रिया देते हुए और आरएसएस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनकी विचारधारा और आरएसएस के बीच ज़मीन आसमान का अंतर है और उस पर कोई समझौता नहीं हो सकता ।

आरएसएस के बयान के बारे में पूछे जाने पर कि महात्मा गांधी ने भी संघ मुख्यालय में भाग लिया है, कांग्रेस नेता ने कहा, "हर कोई आरएसएस और बीजेपी के इतिहास के बारे में अच्छी तरह से जानता है। मैं इस पर कोई दूसरी टिप्पणी नहीं करूंगा"।

बता दें की श्री मुखर्जी, जो एक कांग्रेस अनुभवी रहे हैं, को संघ शिक्षा वर्गा के राष्ट्रीय कार्यकर्ता संघ के स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण शिविर - जून में निर्धारित नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

हिंदी ताज़ा तरीन ख़बरों को जानने के लिए हमारे फेसबुक के ऑफिसियल पेज से जुड़ें | नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके हमारे पेज को लाइक करें और हमारे वेबसाइट पर फॉलो करें |


टिप्पणियाँ