बैंकिंग सेक्टर की बिगड़ी हालत : 10 लाख कर्मचारियों ने वेतन संशोधन की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध शुरू किया | 10 Laakh Bank Employee Went On 2 Days Strike Against 2% Of Salary Hike |

बैंकिंग सेक्टर की बिगड़ी हालत : 10 लाख कर्मचारियों ने वेतन संशोधन की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध शुरू किया  | 10 Laakh Bank Employee Went On 2 Days Strike Against 2% Of Salary Hike |

Bank employees on strike in india against 2% salary hike


व्यपारी मालामाल आम आदमी कंगाल | हाँ कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है पिछले कुछ सालों से | जैसा के हम सब जानते हैं के बड़े बड़े कारोबारियों ने बैंकों को बड़े बड़े चुने लगाए हैं और आराम से देश छोड़ विदेश मैं मज़े कर रहे हैं, अब चाहे वह नीरव मोदी हों या फिर विजय मालिया सरकार किसी के खिलाफ अबतक कुछ भी नहीं कर पाई है | 

बैंकिंग सेक्टर की हालत दिन बा दिन बिगड़ती चली जा रही है | हालात अब ऐसे हो चुके हैं के कई बड़े बैंकों को आरबीआई द्वारा हिदायत दी गयी है के वह न तोह कोई नया लोन पास करें और ना ही बैंक कर्मचारियों की वेतन में विर्धि करें |   

देश भर में 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की लगभग 85,000 शाखाएं हैं जिनका बैंकिंग कारोबार में लगभग 70 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। 

आज बुधवार से करीब 10 लाख बैंक कर्मचारी दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए गए हैं | उन्होंने यह हड़ताल सरकार द्वारा समझौते के प्रयास कम वेतन वृद्धि के खिलाफ किया है | इस हड़ताल को रोकने के लिए बैंक यूनियन कर्मचारियों को मनाने में नाकाम दिखाई दिए । हड़ताल के वजह से पुरे देश में बैंकिंग सेवाओं में बाधा पहुँच रही है।

चूंकि बैंकों और यूनियनों के बीच हुई बातचीत के कई दौरों ने कोई रास्ता नहीं बनाया, संयुक्त बैंक फोरम ऑफ यूनियन (यूएफबीयू), नौ बैंक यूनियनों के आग्रह  पर प्रस्तावित मजदूरी के मुकाबले 2 फीसदी की बढ़ोतरी के खिलाफ हड़ताल पर चला गया है। 

उन्होंने कहा कि 10 वीं बिपार्टाइट मजदूरी स्कीम के तहत 1-11-2012 से प्रभावी बनाया गया था और आईबीए कुल वेतन विधेयक पर 15 प्रतिशत की वृद्धि के लिए सहमत भी हो गया था जबकि इस वर्ष महज़ 2% पर्तिशत ही दिया गया है ।

अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त (सीएलसी) ने संयुक्त राष्ट्र फोरम ऑफ यूनियन फोरम यूनियन (यूएफबीयू) के बैनर के तहत बैंक यूनियनों से मुलाकात की, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने हड़ताल को रोकने के लिए  बातचीत की।

एक हालिया रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि मार्च 2018 तक बैंकों के एनपीए 46.70 फीसदी बढ़कर 8,40,868 करोड़ रुपये हो गए हैं। छह पीएसयू बैंकों ने मार्च तिमाही में 6,626 करोड़ रुपये का नुकसान किया है।

एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक समेत कई बैंकों ने पहले से ही चेतावनी दी थी कि हड़ताल से उनकी सेवाएं और सामान्य बैंकिंग परिचालन प्रभावित होंगे। जिनके खाते आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, एक्सिस, यस बैंक और इंडसइंड के साथ हैं, वे हड़ताल से प्रभावित नहीं हैं क्योंकि उनके पास ट्रेड यूनियन नहीं हैं। नवंबर 2012 से अक्टूबर 2017 की अवधि के लिए अंतिम मजदूरी वेतन में, आईबीए ने 15 फीसदी की वृद्धि की थी।

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ, सरकार और निजी उधारदाताओं में 10 लाख से अधिक बैंकरों के एक निकाय ने 1 नवंबर, 2017 के बाद से होने वाली मजदूरी के शुरुआती संशोधन की मांग की है ।

जो लोग नहीं जानते हैं उन्हें बता दें की उनके लिए 5 मई को भारतीय बैंक एसोसिएशन ने 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की पेशकश की थी, जिसे यूनियनों ने इसे अन्यायपूर्ण ठहराया था। एसोसिएशन ने बैंकों की खराब वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए सभी अधिकारियों के लिए मजदूरी में संशोधन करने से इंकार कर दिया था । खराब तरीके से ऋण बढ़ने के चलते बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2018 की चौथी तिमाही में भारी नुकसान की सूचना दी थी।

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