कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने शुक्रवार को याचिका देते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को हटाने की मांग की। Congress & Other Opposition Party Demands Immediate Removal Of CJI Dipak Misra.

कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने शुक्रवार को याचिका देते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को हटाने की मांग की। Congress & Other Opposition Party Demands Immediate Removal Of CJI Dipak Misra.

CJI Dipak Misra Removal

नई दिल्ली: राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा को हटाने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों के उस नोटिस को खारिज कर दिया और कहा है के यह पर्याप्त नहीं है तथा इसमें बहुत सारी खामियां हैं |

जिसतरह से न्यायपालिका अपने ग़ैर ज़िम्मेदाराना फैसले सुना रहा है लोगों का भरोसा और न्याय व्यवस्था से उठता चला जा रहा है | भारतीय न्यायपालिका के लिए इस से बड़ी बेइज़्ज़ती और शर्मिंदगी की बात किया होगी जब लोगों ने भारतीय न्याय व्यवस्था से अपना मुंह मोड़ लिया हो | यह दिन भारतीय न्यायपालिका के लिए काला दिन साबित हुआ जब कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने शुक्रवार को राज्यसभा के अध्यक्ष वेंकैया नायडू के समक्ष एक याचिका दायर की जिसमें  सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को हटाने की मांग की गयी ।

71 राज्यसभा सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में मुख्य न्यायाधीश द्वारा अनियमितता के पांच कृत्यों की सूची है, उनपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपने पद का ग़लत इस्तेमाल किया है।

दिलचस्प बात यह है कि यह कदम सुप्रीम कोर्ट की पीठ के न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के खिलाफ तब उठाया गया जब उन्होंने जस्टिस लोया के बहुचर्चित केस को लेकर हैरान करने वाला फैसला सुनाया जिसमें उन्होंने जस्टिस लोया के केस को बिना किसी इन्वेस्टीगेशन के सरे से ख़ारिज करदिया |

हालांकि याचिका स्वीकार करने पर नायडू की संभावना कम ही दिख रही है, नोटिस के आधार पर न्यायमूर्ति मिश्रा को कार्यालय से हटा दिया जाना चाहिए, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि विपक्षी दलों द्वारा उठाया गया यह कदम भारतीय न्यायिक व्यवस्था पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है |

यहाँ इस मामले में कुछ एक्सपर्ट ओपिनियन हैं जिसे आप पढ़ें |

एमएफ सलादन: रिटायर्ड जज, बॉम्बे और कर्नाटक हाई कोर्ट |
मुझे नहीं लगता कि यह किसी तरह की राजनीतिक रूप से प्रेरित है। जज लोया के केस में किसी तरह का विकास नहीं हुआ और जब चार न्यायाधीशों ने सर्वोच्च न्यायालय के कामकाज से संबंधित गंभीर मुद्दों पर खुद सवाल उठाया है । यह एक मुद्दा था जिसे देखने की आवश्यकता थी; कुछ किया जाना चाहिए था। इसके बजाए, हमें बताया गया कि मुख्य न्यायाधीश से सवाल नहीं किया जा सकता है। यदि गंभीर शिकायतें आती हैं तोह निसंदेह इस पर बहस करने की आवश्यकता है, तो इसतरह की समस्या पर बिलकुल सवाल उठाया जाना चाहिए ।

प्रणव झा: कांग्रेस प्रवक्ता
यह किसी तरह की सिआसि प्रतिक्रिया नहीं है और ना ही यह रातों रात हमारे सपने में आया। यह प्रक्रिया चार महीने पहले शुरू हुई थी। यदि आप हमारे द्वारा लगाए गए पांच आरोपों की प्रेस स्टेटमेंट को देखते हैं, तो न्यायमूर्ति लोया की मृत्यु का भी उल्लेख नहीं किया गया। यह आरोप सिर्फ एक न्यायाधीश के खिलाफ नहीं हैं; 26 अन्य भी हैं। हम उनसे केस पर अपनी कोशिश करने से रोकने के लिए नहीं कह रहे हैं। उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं, और यह महज़ कल्पना नहीं है।

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