हिन्दू समाज में औरतों की दर्दनाक और असहनीय स्तिथि । देवदासियों से लेकर आश्रम में सम्भोग वस्तु के तौर पर परोसी जाती हैं हिन्दू महिलाएं । Unbearable Pain of Women In Hindu Society | Women From Devadasi To Sex Worker In Ashram.
हिन्दू समाज में औरतों की दर्दनाक और असहनीय स्तिथि । देवदासियों से लेकर आश्रम में सम्भोग वस्तु के तौर पर परोसी जाती हैं हिन्दू महिलाएं ।
Unbearable Pain of Women In Hindu Society | Women From Devadasi To Sex Worker In Ashram.
पिछले कुछ महीनों में, हमने ट्रिपल तलाक़, मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न के बारे में बहुत कुछ सुना है और उन्हें उस से कैसे बचाया जाये यह मेनस्ट्रीम इंडियन मीडिया ने हिंदू महिलाओं को नजरअंदाज करते हुए बहुत ज़्यादा उछाला है । क्या यह भाजपा और मोदी सरकार का एक और राजनीतिक स्टंट है?
इससे पहले प्रधान मंत्री मोदी को यह रिपोर्ट की गयी थी कि वे ट्रिपल तलाक के वजह से मुस्लिम महिलाओं के जीवन को बर्बाद होने से बचाये जबकि उनकी असली चिंता मुस्लिम वोट भुनाने की थी। जानने की ज़रुरत यह है के क्या मुसलमानों के मामलों को उछाल कर बीजेपी सरकार हिन्दू औरतों की देखभाल करती है या फिर उन्हें पीड़ित जीवन जीने के लिए छोड़ दिया गया है या फिर यह सब मुस्लिम वोट बैंक बनाने की साज़िश है ?
तथ्य और आंकड़े एक अलग ही कहानी बताते हैं कि वास्तव में कौन खतरे में हैं और किनकी ज़िन्दगी वास्तव में बर्बाद हो रही है, हिंदू महिलाओं की या फिर मुस्लिम महिलाओं की।
हम आँकड़ों पर ग़ौर करेंगे लेकिन इससे पहले, यह नहीं भुलाया जाना चाहिए कि तथाकथित हिंदुत्व संगठन और कट्टरपंथी हिन्दुओं ने डॉ अम्बेडकर के हिंदू कोड विधेयक को रोक लगा दिया जो हिन्दू महिलाओं की भलाई के लिए और उन्हें शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया था। अब ज़रा दिमाग़ पर ज़ोर दिज्ये के अचानक से वही हिन्दू चरमपंथी और कट्टरवादी हिन्दू संस्थाओं ने महिलाओं और ख़ास कर मुस्लिम महिलाओं के बारे में भी ध्यान देना अथवा चिंता जताना शुरू कर दिया?
ट्रिपल तालक की सांख्यिकी
भारत में कुल 17 करोड़ मुसलमान रहते हैं २०११ के डेमोग्राफी के हिसाब से
उनमें से आधे महिलाएं हैं = 8.5 करोड़
43% मुस्लिम महिलाएं विवाहित है = 3.6 करोड़
प्रत्येक 1000 विवाह पर तलाक़ की दर 5 है = 2 लाख है
उस 2 लाख तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं में से
ट्रिपल तालक में सभी मुस्लिम विश्वास नहीं करते
पुरुषों द्वारा सभी तलाक़ की शुरुआत नहीं की गयी (खुल्ला की प्रक्रिया शामिल)
सभी तलाक़ तत्काल नहीं दिए गए (जहां यह समस्या है)
आइए हम उनमें से अर्ध को तुरंत ट्रिपल तालाक मान भी लेते हैं = 1 लाख लगभग
अब, चलिए हिंदू समुदाय में उनके आंकड़े किया कहते हैं वह भी देख लीजिए
भारत में 100 करोड़ हिंदू हैं
उनमें से आधे महिलाओं = 50 करोड़ महिलाओं हैं
43% हिंदू महिलाओं का विवाह = 21.5 करोड़ है
प्रत्येक 1000 विवाह पर पति पत्नी के बीच त्याग दिए हुए दर 5.5 है = 12 लाख
महिला त्याग दर: प्रत्येक 1000 विवाह के लिए 3.7 = 8 लाख
हिंदुओं के महिलाओं के लिए 8 लाख से पृथक पृथक्करण
अदालतों में यह सारे तलाक के मामले दर्ज हैं
महिला द्वारा त्याग दिए गए मामले हैं
सभी असंतोषपूर्ण विभाजनों से पत्नी का त्याग दर
आइए हम मान लेते हैं उनमें से आधे पत्नी छोड़ने के मामले (प्रधान मंत्री मोदी की तरह) = 4 लाख मामले दर्ज हैं ।
तत्काल ट्रिपल तालक से पीड़ित हर 1 मुस्लिम महिला के लिए, चार हिंदू महिलाएं हैं जो एक ही भाग्य को जशोदाबेन के रूप में पीड़ित हैं, मोदी की पत्नी जिसे उन्होंने बिना तलाक के छोड़ दिया।
तथ्यों के विरुद्ध ब्राह्मण-बानिया मीडिया फिक्शन
2011 की जनगणना ने मुस्लिमों में तलाक की दर को 0.56% और हिंदू में 0.76% रखा।
इसके अलावा 2011 की जनगणना के अनुसार, तलाकशुदा भारतीय महिलाओं में, 68 प्रतिशत हिंदू हैं जबकि सिर्फ 23.3 प्रतिशत मुसलमान हैं।
तलाकशुदा पुरुषों में हिंदुओं का प्रतिशत 76 प्रतिशत और मुसलमानों में 12.7 प्रतिशत है। दोनों ईसाई महिलाओं और पुरुषों मिलकर उनके लिंग-संबंधित तलाकशुदा समूहों का 4.1 प्रतिशत है।
शादी में रहने वाली महिलाओं का प्रतिशत हिंदुओं में (86.2%), ईसाई (83.7%) और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों (85.8%) की तुलना में मुसलमानों में सर्वाधिक 87.8% है।
विधवा महिलाओं का प्रतिशत हिंदुओं में (12.9%), ईसाइयों में (14.6%) और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों (13.3%) की तुलना में मुसलमानों में महज़ (11.1%) से भी कम है। यह संभावना है कि विधवा पुनर्विवाह की संस्कृति अन्य धार्मिक समुदायों की महिलाओं की तुलना में मुसलमान महिलाओं में एक उच्च स्तर की पारिवारिक जीवन शैली सुरक्षा प्रदान करती है।
अलग-अलग और त्याग दी गयी महिलाओं का प्रतिशत हिन्दुओं में (0.6 9%), ईसाई में (1.1 9%) और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक (0.68%) की तुलना में मुसलमानों में (0.67%) के बीच है जो के बाक़ी धर्मों से बहुत कम है।
अलग और त्याग दी गयी महिलाओं से जुड़ी समस्याएं तीन तिहाई से ज्यादा गंभीर हैं पिछली जनगणना के मुताबिक भारत में 23 लाख त्यागी गयी और पूर्ण छोड़ी गई महिलाएं हैं; पूर्ण रूप से, तलाकशुदा महिलाओं की संख्या दो गुना से भी कम हैं जबकि हर साल करीब दो लाख हिंदू महिलाओं को छोड़ दिया जाता है । मुसलमानों के लिए यह संख्या 2.8 लाख है, ईसाइयों के लिए 0.9 लाख और अन्य धर्मों के लिए 0.8 लाख।
मुसलमान महिलाओं की परिस्थितियों में सुधार करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन तलाक़ के बारे में बात करने से पहले 2.4 मिलियन त्याग दी गयी हिन्दू महिलाओं के कष्टों की गहराई भी जान लेनी चाहिए।
तो, जो आप सोचो के काल्पनिक और वास्तविकता को तोड़ने और मरोड़ने की कोशिश कर रहा है यानि ब्राह्मण-बानिया मीडिया भारतीयों को आधी - सच्चाई क्यों दिखता है । वे किसे खुश करने की कोशिश कर रहे हैं और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ इतना घृणा क्यों पहिलायी जा रही है ?
हिंदू सोसाइटी में बाल विवाह
भारत के सर्वे के अनुसार लगभग 12 मिलियन भारतीय बच्चे 10 साल की उम्र से पहले ही शादी कर चुके होते हैं, उनमें से 84% हिंदू और 11% ही मुस्लिम पाए गए ।
उनके लिए कौन बात करेगा साहब ?
हिंदू सोसाइटी में दहेज पार्था और पीडन
हिंदू समाज में दहेज व्यवस्था इतनी बड़ी है कि दहेज के लोभी दहेज़ में बहु द्वारा कम सामान लाने के कारन कई बार हिन्दू महिलाओं को या तोह जला दिया जाता है या फिर ससुराल वाले मर्द उनका बलात्कार तक करते हैं । 1961 के दहेज निषेध अधिनियम, 1984 और 1986 में संशोधित दहेज को पहचानने योग्य और गैर-जमानती अपराध बनाया गया था। लेकिन अवैध होने के बावजूद, दहेज अधिक बड़े पैमाने पर बढ़ी है। 2010 में, 8,391 दहेज के चलते हुए मौतों की सूचना मिली थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ दिल्ली में दहेज के चलते १०० से अधिक मौतें प्रत्येक वर्ष दर्ज की जाती हैं। जबकि महिलाओं अधिकार समिति राजधानी में मौतों का अनुमान प्रति वर्ष 900 बताती हैं। इसके अलावा, 1990 के बाद से इस तरह की मौतों में एक अभूतपूर्व वृद्धि हुई है । हिन्दू समाज में दुल्हन को खूब पैसा देनी वाली गाय के तौर पर देखा जाता हैं ।
आत्म-बलिदान, सती पार्था पर तोह भारत में किसी तरह रोक लगा दी गयी हैं पर भारत में कई विधवाओं की जिंदगी अभी भी निराशाजनक है क्योंकि वे अपने समाज द्वारा त्याग दी जाती हैं या फिर उनके खुद के परिवारों द्वारा ।
भारत में हिंदू महिलाओं की दर्दनाक स्थिति
क्यों भारत में कोई भी मांगलिक हिंदू लड़कियों की पीड़ा पर चर्चा नहीं करना चाहता है? वे तलाक से बदतर पीड़ित हैं। हिंदू ज्योतिष शाश्त्र में मंगल दोष एक ज्योतिषीय संयोजन है और इस स्थिति की उपस्थिति में पैदा हुए व्यक्ति को मंगलिक कहा जाता है। हिंदुओं में यह विवाह के लिए मुनासिब नहीं माना जाता है, जिससे संबंधों में खटास और असंतोष का कारण बनता है।
कई ब्राह्मण ऐसी स्थितियों का लाभ उठाने की कोशिश करते हैं और हिंदू महिलाओं का यौन शोषण करते हैं। हिंदुओं को इस अंधविश्वास से छुटकारा क्यों नहीं मिलता?
यहां तक कि प्रसिद्ध हिंदी फिल्म अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने "मांगलिक" होने के कारन और इस से छुटकारा पाने के लिए वाराणसी में एक पीपल के पेड़ से शादी की ! कई बार, मांगलिक हिंदू लड़कियों को वृक्ष, कुत्ते या बिल्ली से शादी करने के लिए मजबूर किया जाता है। इस ब्राह्मण्यवादी अभ्यास से अधिक अमानवीय और क्या हो सकता है?
विभिन्न हिंदू मंदिरों जैसे वृंदावन आदि में हिंदू महिलाओं के दर्द को नजरअंदाज किया जाता है और भारतीय समाज में इसके बारे में कोई बात नहीं की जाती। कई हिन्दू परिवार (मुख्यतः ऊपरी जाति) वालों ने यदि उनके पति मर जाते हैं तोह वह ऐसी महिलाओं को अपने घरों से को बाहर निकाल फेंकते हैं और महिलाओं को अपने दम पर जीवित रहने के लिए छोड़ दिया जाता है । बहुत से लोग भिखारी और अन्य वृन्दावन आश्रम या वाराणसी आश्रम में जगह ढूंढने का प्रयास करते हैं, लेकिन वे तथाकथित हिंदू गुरुओं द्वारा या आश्रम चलाने वाले ही कई बार उनका यौन शोषण करते हैं।
पति की मृत्यु के बाद महिलाओं को अपने परिवार से बाहर फेंकने के इस तरह के विरोध का कोई विरोध क्यों नहीं करता ? तथाकथित हिंदुओं को इस से नाराज़गी क्यों नहीं होती जो मुस्लमान औरतों के प्रति झूटी हमदर्दी जताने आ जाते हैं ।
वृंदावन, जहाँ शरारती हिंदू भगवान कृष्ण, जो गोपी (यानि युवा लड़कियों) के साथ खेलते और मस्ती करते थे, को हिंदुओं द्वारा बहुत पवित्र माना जाता है, लेकिन यह स्थिति दयनीय है क्योंकि यह भारत में कहीं और नहीं है। वृंदावन के रमन रेटी क्षेत्र में आश्रम के प्रबंधकों को रिश्वत के माध्यम से औरतों को सम्भोग लगाने के लिए कमरे किराए पर लिए जाते हैं और अपने काम को प्यारे भगवान की छत्र छाया में अंजाम देते हैं!
कई सेक्स-श्रमिकों का मानना है कि आश्रम ग्राहकों के साथ काम करने के लिए सबसे सुरक्षित जगह है। शहर में वेश्यावृत्ति के एक बड़े स्रोत से अपने पति द्वारा छोड़े जाने के बाद वृंदावन आने वाली युवा लड़कियां अमेरिका और रूस के कई विदेशियों को भी मथुरा और वृंदावन क्षेत्रों में देखा जा सकता है, वेश्याओं के रूप में काम करती पेयी जाती हैं ।
गोया हिन्दुओं में इन साड़ी गंदगियों के बावजूद कोई आवाज़ नहीं उठता और तथाकथित हिन्दू मीडिया इनसब पर पर्दा डालने की कोशिश करता हैं । मुद्दा ही उठाना हैं तोह अपने हिन्दू समाज के प्रति उठाओ तोह मालूम पड़े के गन्दगी से लबरेज़ हैं ।
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