राज्यसभा में ट्रिपल तालाक बिल विधेयक : विपक्ष क्या चाहता है और आगे किया होगा जानिए विस्तार से Triple Talaq Bill On Table Of Rajya Sabha | What Opposition Wants and What Will Be Next Know In Detail.

राज्यसभा में ट्रिपल तालाक बिल विधेयक : विपक्ष क्या चाहता है और आगे किया होगा जानिए विस्तार से 

Triple Talaq Bill On Table Of Rajya Sabha | What Opposition Wants and What Will Be Next Know In Detail.


नई दिल्ली: लोकसभा ने गुरुवार को मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2017 को पारित कर दिया, जिसमें तीन तलाक़ को अपराध मान लिया गया है । इस बिल के तहत आपराधिक प्रावधान में शामिल तीन साल तक की जेल की अवधि और एक दंड भी शामिल हैं। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2017 पेश किया। उन्होंने कहा के "ट्रिपल तालाक बिल महिलाओं के अधिकारों और न्याय के लिए है, और किसी भी प्रार्थना, अनुष्ठान या धर्म के बारे में नहीं है," 

बीजू जनता दल और एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और श्री महताब ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

ओवैसी ने टिप्पणी की के विधेयक ऐसे मुद्दों से निपटने के लिए अलग प्रावधान तैयार कर रहा है, जो मौजूदा प्रावधानों में पहले से ही पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा कि विधेयक संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन करता है जो निजी कानूनों की गारंटी देता है जिसमें लेख 25, 26 और 29 उल्लेखनीय हैं इसपर  प्रसाद ने जवाब दिया, "क्या अनुच्छेद 14 के तहत महिलाओं की मूलभूत संरचना महिलाओं के अधिकार में नहीं हैं? संसद को इस कानून को लाने का अधिकार है।"। 

कटक के बीजेडी सांसद भार्तुहारी महताब ने कहा कि बिल पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। "एक विधेयक लाने के चिंता में, सरकार मुस्लिम महिलाओं के ऊपर अत्याचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बिल में दिखना चाहिए। यह विरोधाभासों से भरा हुआ है। यह केवल और केवल अधिक मामलों को अदालत में लाएगा। इसपर प्रसाद ने जवाब दिया, "सुप्रीम कोर्ट ने तालाक-ए-बिद्दात को अवैध करार दिया है, लेकिन उसके बाद भी महिलाओं को सड़कों पर फेंक दिया जाता है। क्या संसद इसपर चुप्पी साधे रहेगी ? संसद को महिलाओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी होगी । "

हालांकि निचले सदन में बीजेपी के भरपूर बहुमत ने बिल के लिए एक साफ़ और सुनिश्चित रास्ता तोह पहले ही तय कर दिया था मगर फिर भी कई पार्टियों ने इसके बारे में अपनी मायूसी ज़ाहिर की ।

जिन पार्टयों ने इस बिल के सहमति में और इसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई उनके द्वारा दिए गए कुछ तथ्यों को आपके सामने पेश करता हूँ ।

*कांग्रेस
हालांकि कांग्रेस ने विधेयक की शुरुआत का समर्थन किया लेकिन साथ ही कुछ हाशियों पर पर स्पष्टीकरण की मांग की है । कांग्रेस ने बिल के दंड प्रावधानों पर मायूसी ज़ाहिर की है और इसे अनैतिक कहा है । दिलचस्प है कि भाजपा सांसद एम.जे. अकबर भी अपने विचार साझा करने में असमर्थ रहे । वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मांग की के विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए इसे एक स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए ।

एक अन्य पार्टी के नेता सुष्मिता देव ने विधेयक की कारावास खंड के साथ मुद्दा उठाते हुए कहा कि ऐसा प्रावधान खतरे में रखरखाव करेगा।

* शिया वक्फ बोर्ड
जबकि बिल वर्तमान में उल्लंघनकर्ताओं के लिए अधिकतम तीन साल की कारावास की वकालत करता है, मगर शिया वक्फ बोर्ड ने मज़ीद कठोर दंड के लिए मांग की है। शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वासीम रिजवी ने कहा, "मैंने एक पत्र के जरिए प्रधान मंत्री को एक पत्र के माध्यम से अनुरोध किया है कि ट्रिपल तालाक में शामिल लोगों को 10 साल की जेल की सजा दी जाए और उनके खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज किये जाएं ।"

अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी)
एआईएमपीएलएबी ने इस बिल के बारे में मायूसी व्यक्त किया और इसे "अमेंड या स्क्रैप" के लिए लोकतांत्रिक माध्यमों के माध्यम से कदम उठाने का वादा किया। उन्होंने केंद्र को "जल्दबाजी में" बिल पेश करने का आरोप लगाया है ।

* बीजद
बीजेडी नेता भर्तृहरी महताब ने कहा कि बिल तैयार करना "दोषपूर्ण था। हालांकि, उन्होंने बिल के गुणों पर टिप्पणी करने से इंकार किया । महताब ने यह जानने की मांग की कि प्रस्तावित कानून में इंस्टेंट तलाक़ अवैध और अवैध रूप से प्रथा का अभ्यास किया जाए, तो किसी को कैसे 'तलक-ए-बिद्त' के उच्चारण के लिए जेल भेजा जा सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि कानून ने पुलिस के हाथ में अनियंत्रित विवेकाधिकार सौंप दिया है ।

* अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम)
एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बिल मुस्लमान मर्दों को कुरुर और ज़ालिम दर्शाता है और समाज में गलत संदेश भेजता है।

* बिल में संशोधन
असदुद्दीन ओवैसी, महताब, देव और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ए संपत द्वारा किए गए संशोधन को लोकसभा में अस्वीकार कर दिया गया 

* आगे क्या होगा
राज्यसभा में विधेयक पारित करने में केंद्र की मुश्किल बढ़ सकती हैं । उम्मीद की जाती है कि कम से कम 122 सदस्य इसके खिलाफ मतदान करेंगे। इसके अतिरिक्त, यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि सभी जेडी (यू) सांसद इसका समर्थन करेंगे।

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