आल इंडिया मुस्लिम इत्तेहादुल्मुसालमीन के असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम इंडियन पॉलिटिक्स में चमकता वाहिद सितारा । ऐसा मुस्लिम रहनुमा सदयों में मिलता है | Asaduddin Owaisi Muslim Leader Face In Indian Politics, Such Great Leader Born In Decades |

AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम इंडियन पॉलिटिक्स में चमकता वाहिद सितारा । ऐसा मुस्लिम रहनुमा सदयों में मिलता है | Asaduddin Owaisi Muslim Leader Face In Indian Politics, Such Great Leader Born In Decades |



असदुद्दीन ओवैसी मुस्लिम क़ाएद में सदयों से मिला वह हीरा है जिसे मुसलमानो को क़दर करनी चाहिए । वह एक राजनेता हैं । सिआसत करना उनका काम है । मगर सिआसि मैदान में इन्हें बदनाम करने की भरपूर कोशिश की गयी । यह कोशिश आज की नहीं है बल्कि जबसे उन्होंने राजनीती में क़दम रक्खा उनके ओप्पोसिशन ने और हिंदुत्व ब्रिगेड ने हर हाल में उन्हें उखाड़ फेकने की कोशिश की । असदुद्दीन ओवैसी फिर भी डट कर खड़े रहे और अल्लाह ने हमेश उनकी मदद की । आज भी अगर हम कहीं मुस्लिम मुद्दे पर किसी आवाज़ को बुलंद होते हुए देखते हैं तोह वह ओवैसी की आवाज़ ही सुनायी देती है जबकि बाक़ी के मुस्लिम रहनुमा अपनी रोट्यां सेकने में लगे रहते हैं । कांग्रेस जैसी पार्टी ने मुसलमानो का सबसे ज़्यादा नुकसान किया है और हमें कभी सेक्युअलरिस्म के नाम पर इखट्टा होने नहीं दिया । मुसलमानो को हमेशा बीजेपी और दीगर हिंदुत्व पार्टयों का डर दिखा कर खूब सारे मुस्लिम वोट बटोरे मगर कभी मुसलमानो के लिए कुछ नहीं किया बल्कि उल्टा मकोका, टाडा जैसे क़ानून बनाकर मुसलमानो का इस्तेहसाल करती रही । हर सिआसि पार्टी धर्म, कास्ट के नाम पर वोट लेते आयी है चाहे वह मायावती हों या यादव वोट हों सबने अपने रहनुमा को सपोर्ट किया है मगर जब मुसलमानो के मुस्लिम क़ाएद को सपोर्ट करने की बात आती है तोह इंडिया के हिंदुत्व मीडिया और दीगर सिआसि पार्ट्यां कम्युनल कहकर इन्हें कभी इखट्टा होने नहीं देती और हमेशा इन्हें वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करती रही है । अब वक़्त आ गया है के मुसलमानो को इस मामले में सोचना होगा के वह किस मुस्लिम रहनुमा को अपना वोट देंगे, उनको जो मुस्लिम वोट लेकर संसद में तोह बैठ जाते हैं मगर इस क़दर जाहिल और डरपोक और बेवक़ूफ़ होते हैं के उन्हें कुछ बोलने ही नहीं आता या फिर उस शेर को जिसका नाम असदुद्दीन ओवैसी है जो क़ाबिल भी है , ज़हानत भी रखता है और बेबाकी से अपने सवालात उठाता भी है और जो मुस्लिम मुद्दों पर आवाज़ उठाने में कोई कसार नहीं छोड़ता । अब मुसलमानो को एकजुट होकर सोचने की और चिंतन करने की ज़रुरत है ताके वह अपना बहुमूल्य वोट किसी बेवक़ूफ़ मुस्लिम रहनुमा को न देकर ऐसे शख्स को दें जो आपकी भलाई और बरतरी को लेकर चिंतित हों । 

पिछले दो कार्यकाल से काँग्रेस के मौलाना असरारुल हक़ क़ासमी किशनगंज से सांसद है। सीमाँचल के ही दूसरे क्षेत्र कटिहार से तारिक़ अनवर सांसद रहे हैं। सीमांचल क्षेत्र से एम० जे० अक़बर, मरहूम तस्लीमुद्दीन साहब, तारिक़ अनवर एवं शाहनवाज साहब केंद्र में मंत्री रह चुके है। लेकिन, संसद में सीमाँचल के लिए कौन लड़ा? आप जानकारी इकट्ठा कीजिए मौलाना असरारुल हक़ क़ासमी ने पूरे कार्यकाल में संसद में सिर्फ़ एक प्रश्न किया है।
यह बहुत अफ़सोस की बात है कि बिहार के सबसे पिछड़े क्षेत्र के एक सांसद के पास सवाल करने के लिए मुद्दा नहीं है। यह कोई तारीफ़ नहीं है मगर उस शख़्स की मेहनत और लगन को सैल्यूट करना चाहिए जिसका नाम असद ओवैसी है। उन्होंने सीमाँचल की तरक़्क़ी के लिए संसद में प्राइवेट बिल पेश किया है। हमें, मालूम है कि यह पारित नहीं हो पायेगा। लेकिन, उन्होंने बिल ड्राफ्ट करने में मेहनत तो की है।
संसद के पटल पर रखने का साहस तो किया है। उन्होंने संसद में सीमाँचल को मुद्दा तो बनाया है। आप आज़ाद है बोलने के लिए वह सीमाँचल में अपनी राजनीति चमका रहे है। हाँ, राजनीति चमका रहे है। ओवैसी एक राजनेता है। राजनेता का काम राजनीति करना ही होता है। मंच पर चढ़कर ताली पीटना नहीं। असद ओवैसी की तरह दूसरा खड़ा करने में सदियों लग जाएंगे।

यह है वह ओवैसी जिसे कुछ मुस्लिम सेकुलरिज्म की आड़ में गालियां देते हैं , यही है वह ओवैसी जिसे कुछ हाफ मंद अंधे , गूंगे , बहरे बीजेपी का एजेंट बताते हैं और आरएसएस और हिन्दू मीडिया के जरिया फैलाई गयी बातों को सच्च मान लेते हैं | अब सुनो यह है वह ओवैसी जो हमेशा मुस्लिम मुद्दों पर बेबाकी से आवाज़ बुलंद करता दीखता रहा और लोग इसे सियासी रोटी सेंकने वाला बताते रहे, जब भी उसने बाबरी मस्जिद के लिए आवाज़ उठाई या जब भी उसने इशरत जहाँ और गुजरात के मुसलमानो के खून पर आपके ज़मीर को झिंझोड़ने की कोशिश की आपको ख्वाब से बेदार करने की कोशिश की | यही है वह ओवैसी जो तीन तलाक़ मुद्दे पर अकेला संसद में डट कर खड़ा बहस करता दीखता रहा मगर बाक़ी के मुस्लिम शेर वहीँ तमाशबीन बने मुंह तकते रहे फिर भी ओवैसी बुरा कहलाता है क्योंकि वह मुसलमनो के हक़ के लिए आवाज़ बुलंद करता है | यही है वह ओवैसी जब बोर्ड के मौलाना ने यह कहा के संसद में सिर्फ आप ही अकेले मुस्लमान नज़र आये जो शरीयत के लिए आवाज़ उठाते दिखाई दिए तोह ओवैसी साहब के आँखों से आंसू की क़तार जारी हो गयी | मुसलमान हमेशा से अफवाहों में जिया है चाहे वह अफवाह हिन्दू एक्सट्रेमिस्ट ग्रुप द्वारा ही क्यों न फैलाई गयी हो , या फिर हिंदुत्व को सपोर्ट करता हुआ इंडियन मीडिया ही क्यों ना हो बिना दिमाग़ का इस्तेमाल किये हुए उसे सच समझ लिया जाता है । बताओ कहाँ गए तुम्हारे बाक़ी के सेक्युलर रहनुमा जब एंटी मुस्लिम बीजेपी आपके मज़हबी मामलात में दखल अंदाज़ी करता है । वह कैसे मुस्लिम महिलाओं का भला चाहने वाला बन गया जो आये दिन गौ हत्या के नाम पर बेक़सूर मुसलमानो का खून बहाता है, जो आपको नीच नज़र से देखता है, जो आपसे आपकी नौकरियां छीन लेने की बात करता है, जो आपके पैग़म्बर को बुरा भला कहता है, जो अख़लाक़, पहलु खान के क़ातिलों को तिरंगा लपेट कर सलामी देता है और उसे गवर्नमेंट की नौकरियां मुहैय्या करवाता है, जो अफ़राज़ुल के क़ातिल को बचाने के लिए पीछे से अपनी हिंदुत्व ब्रिगेड को खुली छूट देता है । वह कैसे किसी मुस्लमान का हमदर्द बन सकता है ?। मैं जब भी आँख उठता हूँ तोह मुझे एक ही चेहरा सिआसत की मैदान में और मुसलमानो की रहनुमाई करता दीखता है और वह चेहरा है असदुद्दीन ओवैसी का । बाक़ी आप मुसलमानो पर छोड़ता हूँ के आप अपने मुस्लिम क़ाएद का समर्थन करते हैं या किसी आस्तीन के सांप हिन्दू पोलिटिकल एंटिटी को सपोर्ट करते हैं । यह इसलिए बोल रहा हूँ के कांग्रेस को भी हम सेक्युलर समझते हैं जबकि बाबरी मस्जिद को तोड़वाने में कांग्रेस का और उसके नेताओं का भी बराबर हाथ रहा है ।

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