हिंदुस्तान की आन बान और शान सबसे पहले ओलिंपिक स्वीम्मर महबूब शमशेर खान का आज दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन । First Indian Olympic swimmer Shamsher Khan dies of cardiac arrest at the age of 87


हिंदुस्तान की आन बान और शान सबसे पहले ओलिंपिक स्वीम्मर महबूब शमशेर खान का आज दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन ।

The First Indian Olympic swimmer Shamsher Khan dies of cardiac arrest at the age of 87


गांतूर । हिंदुस्तान के सबसे पहले मशहूर ओलिंपिक स्वीम्मर महबूब शमशेर खान का आज जिला रिपल्ले के  कैथेपले गाओं में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया । वह 87 साल के थे । खान इंडिया के नेशनल हीरो और चैंपियन थे जब उन्होंने 1956 में मेलबोर्न के summer olympic में 5 वे स्थान पर अपना नाम दर्ज कराया था याद रहे के वह ऐसे पहले हिंदुस्तानी हीरो थे जिन्होंने यह ख़िताब हासिल किया और आजतक उनका यह रिकॉर्ड किसी इंडियन ने नहीं तोडा जबकि आज जो सुविधाएं उपलब्ध हैं जो पहले उस वक़्त बिलकुल नहीं थीं । 

खान ने 24 साल तक इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं दी और एक सूबेदार की हैस्यत से रिटायरमेंट ली । खान ने अपनी पूरी ज़िन्दगी ग़रीबी और मुसफ़्लिसि में निकली । उनके पास आखरी दिनों में इंडियन आर्मी के पेंशन के इलावा कोई और आमदनी का ज़रिए नहीं था जिस से वह खुद अपना और अपनी फॅमिली तक का पेट पाला करते थे। उनके बड़े बेटे साजिद वली खान आज भी इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जबकि वह उनके छोटे बेटे अली खान के साथ ही रहा करते थे । 

खान ने 1954 में 200m बटरफ्लाई में नेशनल रिकॉर्ड हासिल किया और 1955 में बैंगलोर में सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले । ताज्जुब यह होता है के उनके नेशनल हीरो होने के बावजूद इंडियन गवर्नमेंट ने उन्हें मेलबोर्न में ओलम्पिया कम्पटीशन में हिस्सा लेने के लिए सिर्फ मेलबोर्न तक का हवाई किराया दिया जबकि खान ने इंडियन आर्मी से जहाँ वह काम करते थे 300 रूपये का लोन लिया जो के उनके मेलबोर्न में खाने पिने रहने और बाक़ी खर्चे के लिए थे ।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के एक इंटरव्यू में वह बताते हैं के उस वक़्त मेरी सैलरी महज़ 56 रूपये महाना थी और जैसे ही मैं ओलम्पिया जीत कर अपने देश वापस आया तोह उन्होंने वह 300 रूपये का लोन सैलरी से काट लिया । 

खान ने जो के 1946 में इंडियन आर्मी में अपनी सेवाएं देना शुरू किया उन्होंने चीन और पाकिस्तान के खिलाफ 1962 और 1973 में 2 बड़ी जंगो में हिस्सा लिया । 

खान जो के नेशनल स्वीम्मर बने वह बताते हैं के हमारे पास आज की तरह उस वक़्त कोई सुविधा नहीं थी और मैं ने तोह अपने गाओं के तालाब में भैसों के साथ तैरना शुरू किया था । वह यह सोच कर उदास हो जाते थे के उन्हें सरकार की तरफ से कोई प्रोत्साहन नहीं मिला जबकि उनके ही जूनियर साथी  Kamineni Eswara Rao को अर्जुन अवार्ड से नवाज़ा गया । 

खान अपने आखिरी दिनों में दिल के दौरे से प्रभावित हुए और कुछ साल तक दवाओं पर रहते हुए 87 साल की उम्र में अपनी आखिरी सांस ली । RIP

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