साउथ कोरिया के चाइल्ड राइट एक्सपर्ट यंगही ली ने दाव औंग सन सू कई को रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ किये गए दहशतगर्दी अभियान के लिए जम कर लताड़ा

साउथ कोरिया के चाइल्ड राइट एक्सपर्ट यंगही ली ने दाव औंग सन सू कई को रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ किये गए दहशतगर्दी अभियान के लिए जम कर लताड़ा


साउथ कोरिया के चाइल्ड राइट एक्सपर्ट  यंगही ली जिन्हें अमेरिका की हुमैन राइट आर्गेनाइजेशन ने 2014 में न्युक्त किया था ने म्यांमार की लीडर दाव औंग सन सू कई को रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ किये गए दहशतगर्दी अभियान के लिए जम कर लताड़ा ।

उन्हों ने कहा के दाव औंग सन सू कई जिसे म्यांमार के सैनिकों द्वारा सालों तक घर में नज़रबंद किया गया था आज वह वहां की ख़ास पॉलिटिशियन और म्यांमार सरकार की प्रमुख रहते हुए रोहिंग्या मुसलमानो के ऊपर होने वाले घोर अत्याचार के खिलाफ ना तो कुछ किया बल्कि इस मामले पर चुप्पी साधे रही और इस अत्त्याचार को समर्थन किया जो की मानव अधिकार का सीधे सीधे उलंघन है ।

साल की अगस्त से रोहिंग्या मुस्लिमों की खिलाफ चलाये गए अभियान को म्यांमार की सशस्त्र बलों और संबद्ध सैन्यकर्मियों के समर्थन से अंजाम दिया गया । म्यांमार की पश्चिम राज्य रखाइन के गांवों में रह रहे लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार की सारी हदें पार की गयी, बच्चों बूढ़ों और औरतों को मार डाला गया तथा औरतों का बलात्कार और बच्चों को गोलियों का निशाना बनया गया । यह इतना भयानक था की हम बता भी नहीं सकते । म्यांमार में जहाँ बहुसंख्यक बुध धरम के लोग रहते हैं उन्होंने मानौता की सारी हदें पार कर दीं जिसके कारन ग़रीब और पीड़ित 6 लाख से ज़्यादा रोहिंग्या अपने खुद के देश को छोड़ कर बांग्लादेश के बॉर्डर पर अपनी ज़िन्दगी बिताने पर मजबूर हैं ।

संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों ने इसे रोहिंग्या की जातीय सफाई या उससे भी बदतर अभियान का नाम दिया है। सुरक्षा परिषद के राजनयिकों ने हिंसा को खत्म करने के लिए म्यांमार सेना पर दबाव डालने के उद्देश्य से मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा की है। ट्रम्प प्रशासन ने भी म्यांमार को इस मामले के लिए दंडात्मक कार्रवाई करने की धमकी दी है ।

गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र में संवाददाताओं से बात करते हुए ली ने कहा कि म्यांमार में "रोहिंग्या के खिलाफ इतनी घृणा और नफरत पैदा की गयी है" कि कोई  भी इसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता । यहाँ तक के म्यांमार के समाचार मीडिया में रोहिंग्या के खिलाफ हत्या, बलात्कार, गांवों को जला देना और जबरन गाओं से निकल कर मार देना वग़ैरह से कोई रिपोर्टिंग नहीं की गयी ।

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