कौन हैं AIMIM प्रेसिडेंट असद उद्दीन ओवैसी । सियासत में उनका कितना बड़ा क़द है । जानिए उनके बारे में विस्तार से । AIMIM President Asad Uddin Owaisi The Most Renowned Political Personality In India.
कौन हैं AIMIM प्रेसिडेंट असद उद्दीन ओवैसी । सियासत में उनका कितना बड़ा क़द है । जानिए उनके बारे में विस्तार से ।
AIMIM President Asad Uddin Owaisi The Most Renowned Political Personality In India.
असदुद्दीन ओवैसी एक भारतीय राज नेता है, जो ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन के प्रेजिडेंट हैं। वह तीन बार लोकसभा एमपी रह चुके हैं, जो लोकसभा में हैदराबाद हल्क़े का प्रतिनिधित्व करते हैं । 2014 में 15 वीं लोकसभा में अपने सर्वश्रेष्ठ कामों को लेकर उन्हें सांसद रतन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भले ही वह अपने बेबाक बयानों से मीडिया की सुर्खयां बटोरते हों या फिर अपने बोल्ड अंदाज़ में भाषण देते मगर इस बात से कतई नाकारा नहीं जा सकता के उन्होंने अपने छेत्र मैं कई सराहनीये काम अंजाम दिए हैं ।
असदुद्दीन ओवैसी का जन्म 13 मई 1969 को हुआ था । उनके माता पिता का नाम सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी और नजमुनेस्सा बेगम है । वह हैदराबाद के एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं । उनके दादा अब्दुल वहाब ओवैसी ने 18 सितंबर 1957 को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के रूप में राजनीतिक दल मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममेन का फिर से गठन किया था। उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी तेलंगाना विधान सभा के सदस्य हैं और अपने पार्टी का नेतृत्व करते हैं।
ओवैसी ने 1994 में आंध्र प्रदेश विधान सभा चुनाव में अपनी राजनीती की शुरुआत की। 1967 से अबतक लगातार वह चारमीनार निर्वाचन क्षेत्र से जीत चुकें हैं, उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मजलिस बचाओ तहरीक के उम्मीदवार को 40 हजार मतों से हराया । 1999 के चुनाव में, उन्होंने अपने निकटतम प्रतिनिधि टी दी पि के उम्मीदवार सैयद शाह नूरुल हक क़ादरी को 93 हजार मतों से पराजित किया।
2009 के भारतीय आम चुनाव में, उर्दू दैनिक दा सयासत डेली के एडिटर-इन-चीफ ज़हिद अली खान को ओवैसी के खिलाफ खड़ा किया गया था। उन्हें तेलुगु देसम पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने अपना पुरज़ोर समर्थन दिया। हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा कि एआईएमआईएम पार्टी को हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र में उस वक़्त "कठिन चुनौतयों" का सामना करना पड़ा। हालांकि, ओवैसी ने इसके बावजूद भी अपनी तारीखी जीत दर्ज की और उन्होंने अली ख़ान को 110 हजार मतों से हराया।
अप्रैल 2014 में, ओवैसी ने 2014 के आम चुनाव में हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र में अपना नामांकन दाखिल किया जिसमें उन्होंने 2.7 मिलियन रुपए (लगभग $ 42,000) और अचल अस्थिरों की कीमत 30 मिलियन रुपए (लगभग $ 463,000) ऐसेट के तौर घोषित किया । वह अपने निकटतम प्रतिनिधि भारतीय जनता पार्टी के भगवन्त राव को एक लाख संतानवे हजार मतों के अंतर से हराकर निर्वाचन क्षेत्र से एक बार फिर से निर्वाचित हुए।
2008 के मुंबई हमलों के दौरान ओवैसी ने निर्दोष लोगों की हत्या के लिए जकीउर रहमान लखवी और हाफिज सईद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की उन्होंने कहा कि देश के दुश्मन मुसलमानों के दुश्मन हैं।
ओवैसी सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में पिछड़े मुसलमानों के लिए आरक्षण का समर्थन करते हैं। वह यह भी कहते हैं कि वह हिंदुत्ववादी विचारधारा के खिलाफ है, लेकिन हिंदुओं के खिलाफ नहीं ।
ओवैसी ने अपने छोटे भाई अकबरुद्दीन के साथ 2005 में मेडक जिला कलेक्टर को पिटवाने के आरोपों के तहत मामला दर्ज किया था। 20 जनवरी 2013 को, उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था, और बाद में संगारेड्डी जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। 16 अप्रैल 2005 को मैडक जिले में सड़क चौड़ा करने वाले परियोजना के तहत एक मस्जिद के विध्वंस के खिलाफ एमआईएम ने विरोध प्रदर्शन किया जिसमें पुलिस ने उन्हें अपराध, दंगे और धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने सहित विभिन्न आरोपों के तहत बुक किया।
मार्च 2016 में, महाराष्ट्र में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए, ओवैसी ने कहा कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी के जवाब में भारत माता की जय कभी नहीं कहेंगे जिसमें मोहन भगवत ने कहा था कि नई पीढ़ी को यह जाप करने के लिए सिखाया जाना चाहिए । ओवैसी ने कहा, "वह मोहन भगवत किसे डराने की कोशिश कर रहा है? वह दूसरों पर अपनी विचारधारा को थोप नहीं सकता ।
ओवैसी, हैदराबाद के ओवैसी अस्पताल और रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष भी हैं, जिनकी स्थापना अल्हाज मौलाना अब्दुल वाहिद ओवैसी ने की थी ।अस्पताल अत्याधुनिक उपकरणों और चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और चिकित्सा देखभाल के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य करता है। प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान एजेंसियों के सहयोग से अस्पतालों में अनुसंधान कार्यक्रम चलाए जाते रहे हैं ।
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