बुलंदशहर हिंसा के षंडयंत्र रचने में तीन हिंदू कट्टरपंथी संगठनों के नाम । Three Hindu Fundamentalist Organization's Conspiracy Behind Bulandshahr Violence.
बुलंदशहर हिंसा के षंडयंत्र रचने में तीन हिंदू कट्टरपंथी संगठनों के नाम । Three Hindu Fundamentalist Organization's Conspiracy Behind Bulandshahr Violence.
बुलंदशहर, 4 दिसंबर (आईएएनएस): बता दें की बुलंशहर हिंसा के षंडयंत्र को रचने के लिए बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बीजेपी के तीन नेताओं को हिंसा भड़काने, पुलिस बलों पर पत्थरबाज़ी करने, वाहनों में आगज़नी करने, शहर में तनाव पैदा करने तथा आपसी सद्भाव बिगाड़ने के लिए पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में नामित किया गया है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में पुलिस अधिकारी और एक जवान आदमी की हत्या के आरोप में भी इन्हें गिरफ्तार किया गया है, पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को एक प्रेस से बात करते हुए यह बड़ा खुलासा किया।
हिन्दू कट्टरपंथी संस्था विश्व हिन्दू परिषद् का कार्यकर्ता उपेंद्र राघव, बीजेपी शहर का युवा विंग प्रेसिडेंट शेखर अग्रवाल और बजरंग दल जिला समन्वयक योगेश राज को सोमवार को बुलंद शहर में हुई हिंसा के आरोप में नामित किया गया है।
इसके इलावा पुलिस ने इस मामले में दो अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है जिन्हें स्थानय ग्रामीणों के रूप में बताया जा रहा है। साथ ही जिस मामले को लेकर षड्यंत्र रचा गया था और जिसमें जानवरों के शवों का सहारा लिया गया था जांच के बाद यह भी पता चला है की उस में पांच व्यक्ति शामिल थे और वह सभी हिन्दू समुदाय के ही हैं। षड्यंत्र हिन्दू मुस्लिम दंगे करवाने के मद्दे नज़र रचा गया था; क्योंकि बुलंद शहर में उस समय मुस्लिम समुदाय के लोगों की बड़ी तादाद इज्तेमा में जमा हो रही थी। लिहाज़ा यह राइट विंग हिन्दू संस्थानों द्वारा रची गई सोची समझी साज़िश के तहत अंजाम दी गई थी।
इन गायों के शवों के मिलने पर जब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने वहां प्रदर्शनकारियों के साथ तर्क करने की कोशिश की और उन्हें यातायात जाम को हटाने को कहा तो उन पर हिन्दू समुदाय के प्रदर्शनकारियों ने हमला बोल दिया और उन्हें वहीँ मार डाला गया।
इस हिंसा में एक और जवान आदमी भी मारे गए थे लेकिन उनकी मौत की वजह और परिस्थितियां अभी स्पष्ट नहीं हैं।
पुलिस ने इस मामले में कुल 88 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जिनमें से 25 लोगों को अभी तक नामित किया जा चूका है।
हिंसा में शामिल लोगों को ट्रैक करने के लिए पांच पुलिस दलों का गठन किया गया है और 22 स्थानों पर छापे मारे गए हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि छापे प्रत्यक्षदर्शी के विवरणों के तहत और उस समय मौजूद उपद्रियों द्वारा गोलीबारी के वीडियो फुटेज को देखते हुए किये गए हैं।
पुलिस का पूरा फोकस और इस अपराध की जड़ नजदीक स्थित गाँव चिंगरावथी और महाव गांवों पर है। पुलिस का मानना है कि भीड़ इन दो स्थानों से लाई गई थी।
मारे गए पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार का शव एटा जिले गांव में ले जाया गया जहां उनके परिवार के सदस्य अवशेषों को देखकर रो पड़े।
सुबोध कुमार के परिवार में पत्नी और उसके दो बेटे हैं। उनकी विधवा पत्नी सुनीता ने बताया की उनके पति ने किसी कारणवश उस दिन छुट्टी मांगी थी लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं दिया गया था। अपने पति की लाश को देख कर उन्होंने चिल्लाते हुए कहा की अगर उन्हें छुट्टी दी गई होती तोह वह आज ज़िंदा होते।
मारे गए पुलिस अधिकारी के बड़े बेटे श्रेया इस समय एमबीए कर रहे हैं जबकि उनका छोटा बेटा अभिषेक इंजीनियरिंग का छात्र है।
टिप्पणियाँ