मुसलमानो के नेता बनकर तूफ़ान की तरह उठते असदुद्दीन ओवैसी; अब रोकना नामुमकिन | Asaduddin Owaisi Emerging Power As a Muslim Leadership; Impossible To Stop Now.

मुसलमानो के नेता बनकर तूफ़ान की तरह उठते असदुद्दीन ओवैसी; अब रोकना नामुमकिन | Asaduddin Owaisi Emerging Power As a Muslim Leadership; Impossible To Stop Now.

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धार्मिक नेतृत्व बनाम राजनीतिक नेतृत्व का टकराव विभाजन के पहले से ही है। मौलाना मदनी ने जो भी बयां दिया है वह उनका निजी बयान मान लेना चाहिए लेकिन इस बात को भी सरे से नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता की उनसे ज़्यादा उनके मदनी परिवार का मुसलमानो के फलाह के कामों में एक बहुत बड़ा योगदान शामिल है साथ ही देश और मुस्लिम समाज के लिये उनके कामों को फरामोश नहीं किया जा सकता । ओवैसी साहब को मुसलमानों का नेता बनने से रोकने की बात करना मौलाना महमूद मदनी का एक अलग दृष्टिकोण हो सकता है। इस मुद्दे पर बजाए आपस में भिड़ने के और एक दूसरे को गालियां देने से कोई फायदा नहीं बल्कि आज के भारत और मुसलमानो के हालात को देखते हुए वक़्त का तक़ाज़ा यही कहता है के मौलाना की बात को नजरअंदाज कर दिया जाए और मुस्लमान खुल कर ओवैसी को अपना समर्थन दें साथ ही ओवैसी पहले से ज़्यादा आक्रामक होकर अपनी धुवां धार रैलयां करते रहें । क्योंकि इस वक़्त राजनीतिक तौर पर ओवैसी साहब को मुसलमानों के नेता के रूप में ज़्यादातर स्वीकार्यता मिल चुकी है और आने वाले समय में उनके बढ़ते हुए राजनीतिक क़द को कोई नहीं रोक सकता । मदनी साहब को पूरा अधिकार है कि वह ओवैसी के ख़िलाफ़ प्रचार करें और अपनी अलग राय रक्खें । दूसरी पार्टी में शामिल कईं मुस्लिम नेता ओवैसी के खिलाफ बोलते हैं, एक नाम और सही किया फरक पड़ता है ! 

बाकी, यह तो पब्लिक है ये सब जानती है, पब्लिक है । इस वक़्त भारत में मुसलमानो के साथ हो रहे दोहरे मापदंड के खिलाफ आहिस्ता  आहिस्ता ही सही पर पूरा मुस्लिम समुदाय ओवैसी की तरफ खिंचा चला आ रहा है लिहाज़ा मौलाना की बात से ज़्यादा निराश होने की कोई  ज़रुरत नहीं बल्कि ओवैसी साहब को और धुवांधार प्रचार करने की ज़रुरत है । साथ ही  मुसलमानो के लिए ज़रूरी है के वह आपस में  टकराओ की स्तिथि को ना पैदा करें ।

यह बहुत सुनहरा मौक़ा है इस वक़्त ओवैसी साहब के लिए के वह मुसलमानो को अपने साथ लें । जहाँ हिन्दू समुदाय एकतरफा होकर भारत्या जनता पार्टी को वोट देता है, दलित बहुजन समाजवादी पार्टी को और यादव राष्ट्र्य जनता दाल और जनतादल यूनाइटेड को तोह वहां मुस्लमान इस देश की दूसरी सबसे बड़ी संख्या होकर भी अपनी कोई बड़ी पार्टी खड़ी नहीं कर पाया है । लिहाज़ा कांग्रेस को सेकुलरिज्म के लिए सिर्फ मुसलमानो का ही साथ क्यों दीखता है । वोट बैंक के तौर पर मुस्लमान हमेशा इस्तेमाल किया जाता रहा है मगर वहीँ मुसलमानो को किसी तरह की सब्सिडी से हमेशा महरूम रक्खा गया है । दूसरी पार्टयों में मौजूद मुस्लिम नेता किसी बंधुआ मज़दूर के जैसे अपने आक़ा का मुंह तकते नज़र आते रहे हैं । देश में मुसलमानो पर हो रहे ज़ुल्म के खिलाफ कोई मुस्लिम नेता नहीं बोलता दीखता । सब पैसे कमाने के लिए और अपने बांग्ला कोठी और गाडी खरीदने सत्ता में आते दीखते हैं ।

ऐसे हालात में सिर्फ एक ही शेर दिखाई देता है और वह हैं असदुद्दीन ओवैसी साहब जिन्होंने हर मुस्लिम मुद्दे को अपना मुद्दा समझ कर आवाज़ उठाया चाहे अख़लाक़ का भगववादियों द्वारा बेरहमी से क़त्ल हो या शरियत में दखल अंदाज़ी । चाहे ट्रिपल तलाक़ का मामला हो हो तोह भी संसद में हमने यह देखा की कोई बोलने वाला नहीं था सिवाए असद साहब के, बाक़ी पार्टी में शामिल मुस्लिम नेता ख़ामोशी से बैठकर तमाशा देखते रहे और एक आवाज़ नहीं उठाया । अब मुस्लमान अच्छी तरह से समझ चूका है की उन्हें कैसा क़ायद चाहिए लिहाज़ा ज़रूरी है की मुस्लमान बड़ी तादाद में ओवैसी को अपनाएँ और दूसरी तरफ ओवैसी अपनी धुवांधार प्रचार जारी रक्खें ।

एडिटर इन चीफ ऑफ़ दी नेशनल इंटीग्रेशन मोहम्मद इमरान मल्लिक के क़लम से|

टिप्पणियाँ

A khan ने कहा…
Muslim ko ab apna leader ovasi g ko accept ker lena chahiye q kee un ke jaisa bebak bolne wala koi nhi I like ovasi brother