अलीगढ़ फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामला: नौशाद और मुस्तक़ीम के परिवार ने न्याय के लिए प्रधान मंत्री से की अपील | Aligarh Fake Encounter; Family of Naushad and Mustaqeem Appeal For Justice From Prime Minister.

अलीगढ़ फ़र्ज़ी एनकाउंटर मामला: नौशाद और मुस्तक़ीम के परिवार ने न्याय के लिए प्रधान मंत्री से की अपील | Aligarh Fake Encounter; Family of Naushad and Mustaqeem Appeal For Justice From Prime Minister.

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वैसे तोह यह बताने की ज़रुरत नहीं के पुलिस वालों की छबि किसी वर्दी वाले गुंडे से कम की नहीं । वर्दी और ताक़त के नशे में जिसे चाहें अपने पिस्तौल का निशाना बना दें । हालिया चार सालों की रिपोर्ट उठा कर देख लें तो पता चलेगा की सौ से ज़्यादा फ़र्ज़ी एनकाउंटर सिर्फ दलितों और मुसलमानो का किया गया है । सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी खामोश तमाशा देख रही है और गुंडे मुख्या मंत्री बने बैठे हैं जिनके ऊपर खुद बलात्कार से लेकर कई संगीन मामलात दर्ज हैं । जी हाँ मैं बात योगी आदित्यनाथ की कर रहा हूँ । वही योगी जिसने भरे सभा में मंच से यह कहा था की मुस्लिम औरतों के क़बर खोद कर उनके साथ बलात्कार करूँगा ।

इस तरह के घिनाओने मानसिता वाले जानवर आज सत्ता का सुख भोग रहे हैं और अपने सत्ता के नशे में पुलिस महकमे में भरे गए भगवा धारियों को खुली छूट दे रक्खी है के वह जितना चाहे उतना एनकाउंटर करें उन्हें बचाने के लिए ऊपर से नीचे तक उनकी सर्कार की टूटी है ।

अलीगढ़ में पुलिस द्वारा मुठभेड़ में नौशाद और मुस्तकीम को मार डाला गया था । पुलिस का दावा है कि वे अपराधी वांटेड लिस्ट में थे। जबकि मृतक के परिवारों का कहना है कि वे निर्दोष थे और वह जरी का काम किया करते थे, उनका पहले किसी भी तरह का क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं था।

अलीगढ़ में उत्तर प्रदेश पुलिस के एक फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारे गए दो लड़कों के सदस्यों ने हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय के लिए अपील की है । वे शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में थे। परिवार का कहना है कि 20 सितंबर को पुलिस द्वारा फ़र्ज़ी मुठभेड़ में मारे गए नौशाद और मुस्तकीम निर्दोष थे। जबकि पुलिस का कहना है कि वे दोनों अपराधी वांटेड लिस्ट में थे।

दिलचस्प बात यह है कि स्थानीय मीडिया को इस फ़र्ज़ी मुठभेड़ का वीडियो करने की इजाजत दी गई थी जिसके लिए खुद पुलिस वालों ने मुठभेड़ होने से पहले स्थानीय पत्रकारों को इसके बारे में सूचित किया था।

नौशाद की मां राफिकेन ने मीडिया के लोगों से कहा कि पुलिस ने उन्हें अपने पड़ोसी मुस्तकीम के साथ पूछताछ के लिए 16 सितंबर को अपने भाई सलमान के साथ बुलाया था। उन्होंने कहा कि पूछताछ के बाद उन्हें रिहा करने के बजाय पुलिस वालों ने परिवार को बताया कि वे फरार होने की कोशिश कर रहे थे। चार दिन बाद नौसहाद और मुस्तकीम को मुठभेड़ में गोली मार दी गई। बाद में पुलिस ने दावा किया कि सलमान को गिरफ्तार कर लिया गया था और उसे जेल भेजा गया था।

मुस्तकीम की मां शाहीन ने आरोप लगाया कि मुठभेड़ के बाद पुलिस ने लाशों को दफन करने की अनुमति भी नहीं दी थी ।

परिवार वालों ने कहा, 'उन्होंने हमारे घर से हर दस्तावेज निकाला और हमें अपने रिश्तेदारों से मिलने की इजाजत नहीं दी गई, हमें पुलिस द्वारा अपने घरों में बंधक बना दिया गया,' 

उन्होंने मीडिया के लोगों से कहा, 'हम न्याय के लिए प्रधान मंत्री मोदी से अपील करते हैं, हमारे लड़के निर्दोष थे।'

परिवार की दावों को सत्यापित करने के लिए एक तथ्य-खोज टीम अटराउली पुलिस स्टेशन गई थी। टीम में वरिष्ठ पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र नेता शामिल थे। टीम ने मीडिया को बताया कि पुलिस स्टेशन के एसएचओ ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की भीड़ को उनका समर्थन देने के लिए बुलाया हुआ था।

जेएनयू के छात्र उमर खालिद, जिन्होंने टीम के साथ आरोप लगाया कि एसएचओ प्रश्नों से बचने के लिए टीम के साथ हिंसक होने की कोशिश कर रहा था।

एनजीओ, संयुक्त राष्ट्र के कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे अलीगढ़ एसएसपी के खिलाफ फाइल करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मुलाकात करेंगे। वे उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के शासन के तहत अतिरिक्त न्यायिक हत्याओं के खिलाफ भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पीआईएल दर्ज करने की भी योजना बना रहे हैं।

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