अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए सय्यद अहमद की अनथक कोशिश और हैदराबाद के निज़ाम की 5 लाख रुपया की सबसे बड़ी फंड | Nizam of Hyderabad, HEH Mir Osman Ali Khan Donated 5 Lakhs Remarkable Donation To Aligarh Muslim University.

अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए सर सैयद अहमद खान की अनथक कोशिश और हैदराबाद के निज़ाम की 5 लाख रुपया की सबसे बड़ी फंड | Nizam of Hyderabad, HEH Mir Osman Ali Khan Donated 5 Lakhs Remarkable Donation To Aligarh Muslim University.



अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्याला जी हाँ जिसका नाम सुनते ही कुछ राइट विंग हिन्दू कट्टरपंथियों के सीने पर सांप लोटने लगते है और वह इस अज़ीम संसथान में तूफ़ान बरपा करने की हर समय कोशिश करते रहते हैं ताकि इस देश में गिने चुने वह तालीमी संसथान जो थोड़ा बहुत मुस्लिमों के तालीमी मेयार को बनाने की कोशिश में लगे हैं उन्हें धार्मिक राजनीती की भेंट चढ़ा दिया जाए जबकि ऐसा नहीं है की इस विश्वविद्ययालय में सिर्फ मुस्लिम ही पढ़ते हैं बल्कि दूसरे समुदाय के लोग भी इस संसथान का हिस्सा हैं | 

चलिए जानते हैं इसके ऐतिहासिक बैकग्राउंड को थोड़ा विस्तार से तोह अपने कमर की पेटी कस लें क्यों की हम आपको इतिहास की सैर करवाने जा रहे हैं |

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) एक भारतीय सार्वजनिक केंद्रीय विश्वविद्यालय है। सर सैयद अहमद खान ने 1875 में मोहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज के रूप में इसकी बुनियाद रक्खी थी। मोहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाने लगा। एएमयू का मुख्य परिसर अलीगढ़ शहर में स्थित है। 467.6 हेक्टर से अधिक फैले हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय शिक्षा की पारंपरिक और आधुनिक दोनों ही शाखाओं में 300 से अधिक पाठ्यक्रम प्रदान करता है। इसके अलावा इसके मलप्पुरम (केरल), मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल) और किशनगंज (बिहार) में तीन ऑफ कैंपस केंद्र भी हैं। विश्वविद्यालय में सभी जातियों, पंथ, धर्म और लिंग के छात्र और शिक्षक शामिल हैं, और संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत उपलब्ध कराए गए राष्ट्रीय महत्व वाले संस्थान में से है। 

इसे 1875 में मद्रासतुल उलूम मुसलमान-ए-हिंद के रूप में स्थापित किया गया था। कॉलेज 24 मई 1875 को शुरू हुआ। एंग्लो-इंडियन मुस्लिम दूरअंदेश राजनेता सैयद अहमद खान ने 1875 में एमएमयू, यानि  मोहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की सरे से बुन्याद डाली | सैयद अहमद खान और MAO से जुड़े मुस्लिम जागृति आंदोलन इस कॉलेज को अलीगढ़ आंदोलन के रूप में पहचान दी। उन्होंने मुस्लिमों के राजनीतिक प्रभाव को बनाए रखने के लिए विशेष रूप से उत्तरी भारत में अंग्रेजी और "पश्चिमी विज्ञान" में मुसलमानो को कौशल प्राप्त करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते रहे । इस कॉलेज के लिए सैयद अहमद खान की छवि ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज की उनकी यात्रा पर आधारित थी और वह ब्रिटिश मॉडल के समान शिक्षा प्रणाली स्थापित करना चाहते थे ताके दबे कुचले मुस्लमान आगे बढ़ सकें । उनकी सोच बहुत बुलंद थी जबकि आज के समय में ऐसे मुस्लिम नेता हैं ही नहीं और शायद हो भी नहीं; जो हैं वह खुद के परिवार में रूचि रखते दीखते हैं | इस कॉलेज की नींव के लिए बहुत सारे फण्ड की ज़रुरत थी लिहाज़ा इसके लिए एक समिति का गठन किया गया था और लोगों से अपील की गई थी की वह उदारता से जितना हो सके इसे फंडिंग करें।

हैदराबाद के 7वें निजाम, हिज हाइनेस मीर उस्मान अली खान ने 1918 में इस संस्थान को 5 लाख रुपये का उल्लेखनीय दान दिया था, बता दूँ की उस समय जब आम नागरिक की आमदनी 50 से 60 रुपए महाना हुआ करती थी यह एक बहुत ही बड़ी रक़म थी। तब, वाइसराय और गवर्नर जनरल ऑफ इंडिया लॉर्ड नॉर्थब्रुक ने 10000 का फण्ड दिया था और उत्तर-पश्चिमी प्रांतों के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने 1000 रुपये का योगदान दिया। हालांकि, मार्च 1874 तक कॉलेज के लिए फंड 153492 रुपया और 8 आना था। । उस समय के महाराजा श्री महाराव महामदार सिंह बहादुर, जीसीएसआई, पटियाला के महाराजा ने 58,000 रुपये का योगदान दिया। विजयनगरम के महाराजा के.सी.एस.आई ने थोड़ा बहुत फण्ड दिया। तनारस के राजा शंभू नारायण ने 60 रुपये का फण्ड दिया दिया। 

शुरुआत में, कॉलेज मैट्रिकुलेट परीक्षा के लिए कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबद्ध था लेकिन 1885 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का एक सहयोगी बन गया। 1877 में, स्कूल को कॉलेज स्तर पर ले जाया गया और लॉर्ड लिट्टन ने कॉलेज के इमारत की  आधारशिला रक्खा। 

19विं सेंचुरी के अनथक कोशिशों ने कॉलेज को अपना विश्वविद्यालय बनाना शुरू कर दिया था।1920 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अधिनियम ने इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय बना दिया। 

हिज हाइनेस सर मोहम्मद अली मोहम्मद खान और आगा खान III ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के निर्माण के लिए फंड  इकट्ठा करके सैयद अहमद खान के विचार को साकार करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई |

1927 में, साहिबजादा अफताब अहमद खान द्वारा अंधों के लिए एक स्कूल की स्थापना की गई थी और उसके अगले वर्ष, इसे विश्वविद्यालय से जोड़ कर एक मेडिकल स्कूल की स्थापना की गई। 1930 के दशक तक, विश्वविद्यालय ने इंजीनियरिंग संकाय विकसित किया था। 

19 अक्टूबर 1906 को गर्ल्स स्कूल की स्थापना के साथ विश्वविद्यालय में महिला शिक्षा शुरू हुई। अखिल भारतीय मुहम्मदन  शैक्षणिक सम्मेलन ने 1896 से लड़कियों की शिक्षा स्थापित करने के लिए एक आंदोलन शुरू किया था। स्कूल 1929 में इंटरमीडिएट कॉलेज बन गया और 1930 को इसे विश्वविद्यालय का एक घटक कॉलेज बनाया गया और नाम बदलकर महिला कॉलेज में बदल दिया गया। तब से यह विश्वविद्यालय के फीमेल स्नातक छात्रों को पूरा करता है। 2014 के उत्तरार्ध में विश्वविद्यालय के कुलपति ज़मीर उदिन शाह ने कॉलेज के महिला छात्रों द्वारा मौलाना आजाद पुस्तकालय का उपयोग करने की अनुमति दी, जो केवल पुरुषों के लिए था |

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पूरी तरह से आवासीय विश्वविद्यालय है, जिसमें 13 संकाय, 7 घटक कॉलेज (5 कॉलेज अकादमिक कार्यक्रम), 15 केंद्र, 3 संस्थान, 10 स्कूल हैं। हाल ही में विश्वविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन के संकाय भी खोले हैं |

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, 2018 की क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में एएमयू को 801-1000 स्थान पर रखा गया था। इसी रैंकिंग में एशिया में 161-170, ब्रिक्स देशों के बीच इसे 238 स्थान प्राप्त है । 2017 में टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में एशिया में 157 में ब्रिक्स और उभरती अर्थव्यवस्थाओं में 157 द्वारा दुनिया में 601-800 स्थान पर था। यह 2018 में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क द्वारा समग्र रूप से भारत में 17 वां स्थान पर था, प्रबंधन रैंकिंग में विश्वविद्यालयों में 49 में से 10 वें स्थान पर था। 

इंजीनियरिंग कॉलेजों में, 2018 में इंजीनियरिंग संस्थानों के बीच राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क द्वारा जैकीर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग कॉलेज, को इंडिया टुडे द्वारा 2017 में 17 वां स्थान दिया गया था। और राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग में 35 पर था |

कानून संकाय 2017 में इंडिया टुडे द्वारा भारत में यह दूसरे स्थान पर रहा है जबकि विश्वविद्यालय के मेडिकल स्कूल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को 2017 में इंडिया टुडे ने 8 वें स्थान पर रखा था |

तोह यह थी तारीख अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की जो आज भी पुकार कर कह रही है की जिस मक़सद के तहत सर सैय्यद अहमद खान ने इसे बनाया था और जिसे हैदराबाद के निज़ाम हिज हाइनेस मीर उस्मान अली खान ने उस्वक़्त सबसे बड़ी फंडिंग की थी उसमें आज भी मुस्लिम छात्र और छात्राओं की कमी है जो बड़े ही अफ़सोस की बात है | इस आर्टिकल को शेयर ज़रूर कीजिए ताकि मुसलमानो के दरमियान जो शिक्षा की कमी है उस से वह उभर सकें और सर सय्यद साहब के सपनो को पूरा कर सकें |

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