स्विस बैंक में भारतियों के पड़े हुए 300 करोड़ रुपये का अबतक कोई दावेदार नहीं आया सामने | Swiss Bank; Indians Have About Rs 300 Crore In Swiss Account But No Claimant Still.

स्विस बैंक में भारतियों के पड़े हुए 300 करोड़ रुपये का अबतक कोई दावेदार नहीं आया सामने
| Swiss Bank; Indians Have About Rs 300 Crore In Swiss Account But No Claimant Still. 

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दिसम्बर 2015 से 3,500 से अधिक निष्क्रिय खातों की एक सूची स्विस बैंक द्वारा बनाई गयी है जो भारतियों के हैं और जो करीब छह खाते बताये जा रहे हैं, बता दें के स्विस बैंक के अनुसार कोई भी सही दावेदार इस पैसे को क्लेम करने के लिए अबतक आगे नहीं आया है। स्विस बैंक से मिले आंकड़ों से पता चला है कि इन बैंकों में भारतीयों के लगभग 7,000 करोड़ रुपये जमा हैं।

यह तीसरा साल है जब स्विस बैंक ने भारतीय मालिकों के किसी भी नाम के बिना निष्क्रिय किये गए सभी खातों की एक सूची बनाई है और इसे भारत को सौंपा गया है मगर इसके बावजूद कोई भी दावेदार आगे नहीं आया है, जबकि पिछले पांच सालों से भारत में काले धन को लेकर खूब घमासान मचा हुआ था और आज भी जिसको राजनीतिक मुद्दा बना कर सत्ता की रोटी सेंकी जाती रही है ।



बता दें की स्विस नागरिकों और भारत सहित कई विदेशियों के सभी खातों की सूची पहली बार स्विट्जरलैंड बैंकिंग लोकपाल द्वारा दिसम्बर 2015 में प्रकाशित की गई थी और तब से लेकर अबतक इसे हमेशा अपडेट किया जाता रहा है इसके साथ ही पब्लिक अनाउंसमेंट भी की गयी थी ताकि इस पैसे के सही हक़दार सामने आएं । इन खातों को निष्क्रिय कर दिया गया है और भारत को इसकी सूचि भी प्रदान कर दी गयी थी मगर इसके बावजूद कोई भी दावेदार सामने नहीं आया |

स्विस बैंक इन खातों के वास्तविक मालिकों या उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को आवश्यक सबूत के साथ इन पैसों का दावा करने की अनुमति प्रदान करने की बात भी करता रहा है।

जब कोई सफल दावेदार मिल जाता है तोह उनका नाम विवरण सूची से हटा दिया जाता है | ओम्बुडसमैन द्वारा साझा की गई नवीनतम जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में कुल 40 खातों और दो सुरक्षित डिपोसिट बॉक्स के मामले को निपटाया गया था  ।

जबकि, दिसंबर 2015 से स्विस बैंक में पड़े 3,500 से अधिक खातों की सूची में कम से कम छह ऐसे खाते भी शामिल हैं जिनका कोई भी दावेदार तब से लेकर अबतक सामने नहीं आया है।

स्विट्जरलैंड के नियमों को मजबूत करने के लिए स्विट्जरलैंड के नेतृत्व में इस तरह के मजबूत बैंकिंग गोपनीयता प्रथाओं का उपयोग करके कथित कर चोरी पर वैश्विक क्रैकडाउन से पहले कई वर्षों तक स्विट्जरलैंड को वित्तीय संपत्तियों के लिए वैश्विक स्तर पर सबसे सुरक्षित जगहों में से एक माना जाता रहा है ।



इसके बाद, स्विट्ज़रलैंड ने जानकारी के आदान-प्रदान और मनी लॉंडरिंग और कर धोखाधड़ी जैसी अवैध गतिविधियों पर कठोर क्लैंपडाउन के लिए कई अन्य देशों के साथ अधिक सहयोग के लिए नए कानून तैयार किए हैं।

भारत उन देशों में से एक है जहां स्विट्ज़रलैंड ने वित्तीय मामलों पर सूचना समझौते का स्वचालित आदान-प्रदान किया है, जबकि अल्पाइन देश पहले से ही ऐसे बैंक खातों का ब्योरा देता चला आ रहा है, जहां भारतीय गलत तरीके से अपने पैसे को जमा रखने का प्रयास क्र रहे थे।



स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) द्वारा जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा जमा किए गए फंड 2017 में 50 फीसदी से बढ़कर सीएएफ 1.01 अरब यानि (लगभग 7,000 करोड़ रुपये) हो चुके है ।

भारत से जुड़े छे में से तीन लोगों के निवास स्थान का उल्लेख किया गया है । छठे व्यक्ति के लिए निवास की जगह का खुलासा नहीं किया गया था।

इसमें 'बॉम्बे' से पियरे वाचेक और बर्नेट रोस्मिरी हैं, देहरादून के बहादुर चंद्र सिंह, पेरिस के डॉ मोहन लाल, लंदन से सुच योगेशच प्रभुदास। किशोर लाल वह व्यक्ति है जिसकी निवास स्थान का खुलासा नहीं किया गया है ।

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