कितना खतरनाक है यह निपह वायरस और किस तरह से इस बिमारी से बचा जा सकता है | How Dangerous Is Nipah Virus and How To Protect With This Outbreak Disease |

कितना खतरनाक है यह निपह वायरस और किस तरह से इस बिमारी से बचा जा सकता है | How Dangerous Is Nipah Virus and How To Protect With This Outbreak Disease |

How To Protect From Nipah Virus

एक नए क़िस्म के खुनी वायरस के प्रकोप ने अबतक भारत में कुल 10 लोगों की जान ले चुकी है । इस वायरस को और ज़्यादा फैलने से रोकने के लिए लगभग 40 से ज़्यादा लोगों को जांच के लिए लाया गया है जिनमें इसके कुछ लक्षण पाए गए थे । मगर इस की वहशत से लोगों के अंदर एक डर का माहौल बना हुआ है ।

निपा वायरस भारत में नया है। और यह क्षमताओं को मज़ीद आहत करता है।

1998 में यह वायरस पहली बार मलेशिया में पाया गया था, जबकि भारत में यह एक नयी बीमारी के रूप में उभरा है और जिसकी वजह से लोगों के अंदर खौफ का माहौल बना हुआ है ।

बता दें की केरल राज्य में अबतक 10 मृत, दो लोग इस से संक्रमित हैं तोह 40 अन्य को संदेहास्पद जांच के लिए लाया गया है ।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, निपह वायरस के इस आतंक ने इस क्षेत्र को घेरना शुरू कर दिया है।

विशेष चिंता की बात यह भी है की मृतकों में से एक 33 वर्षीय नर्स थी जो खुद चिकित्सा कार्यकर्ता है और जो रोगग्रस्त व्यक्ति के साथ काम कर रही थी और जिसकी मौत इस बिमारी के ज़द में आ जाने के कारन हो गयी ।

यूँ कह सकते हैं की यह एक महामारी की चेतावनी के संकेतों में से एक है।

डॉक्टर, नर्स और फिर  संक्रमित लोगों को मारने वाली यह बीमारी को काबू पाना ज़रा मुश्किल हो रहा है पर शोधकर्ता इसपर अधिक जांच में जुटे हैं ताके इस बीमारी का हल निकला जा सके ।

निपाह वायरस मस्तिष्क की सूजन, एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है। बुखार। उल्टी। भयानक किसम का सरदर्द। कभी-कभी पीड़ितों को गंभीर श्वास की समस्या होती है।

ये प्रारंभिक लक्षण लोगों में विचलन और डर और भरम में ले लेती है । केवल एक या ज़्यादा से ज़्यादा दो दिनों के भीतर, यह वायरस कोमा और फिर मृत्यु का कारण बन जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के हालिया अध्ययनों के मुताबिक़ इस वायरस के कारन अबतक मृत्यु दर 75 प्रतिशत अधिक हो गयी है और अगर इसपर जल्द काबू नहीं पाया गया तोह यह और अधिक बढ़ सकती है ।

इसे समझना एक नए किसम के शोध कार्यक्रम का विषय बन गया है।

केरल में हादसे का शिकार हुई नर्स ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था की  

"वह इस प्रकोप के हुए पहले शिकार का इलाज कर रही थी। उस समय उन्हें यह ज्ञात नहीं था कि वह क्या पीड़ित था"।

"उसने एक मरीज के लिए आमतौर पर एक ड्यूटी नर्स के मुकाबले ज्यादा काम किया था । लेकिन उस समय, उसे नहीं पता था कि वह मरीज़ किसी ख़ास किसम के वायरल संक्रमण से घ्रस्त था, "उनके पति साजिश ने बताया।

उस मरीज़ का इलाज करते समय कुछ दिनों बाद ही उनकी पत्नी भी मर गई ।

निपाह को समझना :

प्रतीत होता है कि वायरस पहले चमगादड़ में पैदा हुआ है।

चूँकि यह चमगादड़ उड़ने और कूदने की क्षमता रखता है, इसलिए यह ज़्यादा खतरनाक है।

1998 में इसका सबसे पहला प्रकोप सिंगापुर के सिंगई निपा में सूअरों से शुरू हुआ था जिसके करण जल्द ही लगभग 300 से ज़्यादा लोग संक्रमित पाए गए थे । उनमें से तोह कुल सौ लोगों की मृत्यु पहले हफ्ते में ही हो गई थी ।

इस प्रकोप से बचने का तरीक़ा उन्होंने यह निकला की देश के लाखों सूअरों को फौरी तौर पर मौत के घात उतार दिया गया था ताके लोगों को इसके संक्रमण से बचाया जा सके । लेकिन हालिया हादसों से पता चला है कि यह वायरस हमारे विचार से भी ज्यादा कठिन है।

यह विशेष रूप से लार के साथ संक्रमण में आने से होता है ।

आप अगर किसी संक्रमित सुअर या गाय को स्पर्श करते हैं तोह यह आपको होने की पूरी छमता रखता है।

एक और घटना में लोगों ने एक परिवार से इस वायरस का अनुबंध किया जिसमें एक मृत चमगादड़ किसी खाने की चीज़ में गिर पड़ा था और फिर वह वहां से उड़ गया मगर उसने उसमें अपना लार्वा छोड़ दिया था उनके ही परिवार के एक शख्स ने चिंता करते हुए बताया ।

निपह वायरस से बचने का किया है इलाज या किस तरह से एहतियात बरता जाए |

इस वायरस से बचने के लिए कोई टीका नहीं है। इसके गंभीर लक्षण दिखाई देने पर केवल गहन देखभाल के माध्यम से इलाज किया जा सकता है।

घबराएं नहीं, इसे पराजित किया जा सकता है।

यह वायरस एयरबोर्न नहीं है।

इसे फैलाने के लिए स्पर्श की जरूरत होती है।

इसका मतलब यह है के संक्रमित लोगों और जानवरों के संपर्कों से जितना ह सके दूर रहे | इसके इलावा खाने पिने की चीज़ों को साफ़ और धक् कर रखें । आस पास किसी किसम की गन्दगी को पनपने ना दें |

चिकित्सा श्रमिकों को व्यापक सुरक्षात्मक गियर पहनने की जरूरत है।

केरल के स्वास्थ्य सचिव राजीव सदानंदन ने बीबीसी को बताया, "अब हम बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सावधानियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि उपचार सहायक देखभाल तक ही सीमित है।"

केरल में मेडिकल वर्कर्स वायरस को मज़ीद फैलने से रोकने के लिए दौड़ भाग कर रहे हैं। वे स्थानीय लोगों को कच्चे फल खाने या खुले हुए पानी को पिने से मन कर रहे हैं | एक जगह से दूसरे जगह सफर कर रहे लोगों को सलाह दी जा रही है के वह रास्ते में किसी किसम की खुली और गन्दी चीज़ ना खाएं और ना छुवें | 


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