दुनिया की लगभग 90% आबादी हर रोज़ प्रदूषित ज़हरीली हवा में सांस लेती है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट | World's Almost 90% Population Breathes Badly Polluted Air Present In Our Environment.

दुनिया की लगभग 90% आबादी हर रोज़ प्रदूषित ज़हरीली हवा में सांस लेती है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट | World's Almost 90% Population Breathes Badly Polluted Air Present In Our Environment.

Air Pollution In India

बुधवार को जारी किये गए एक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा किया गया, जिसमें बताया गया की इस धरती पर रहने वाले हर 10 लोगों में से नौ लोग प्रदूषित हवा के शिकार हैं जहाँ प्रदूषण का स्तर काफी ऊँचा होता है और हर साल सात मिलियन लोग सिर्फ इस एयर पोल्लुशण की वजह से बेवक़्त मारे जाते हैं।

अध्ययन परिवेश वायु प्रदूषण पर दुनिया का सबसे व्यापक डेटाबेस मौजूद है जिसमें डब्ल्यूएचओ का कहना है के उन्होंने इस पर एक विश्लेषण किया है। सीएनएन की रिपोर्ट में इस संस्था ने 4,300 से अधिक शहरों और 108 देशों से डेटा इखट्टा किया।

अध्ययन से पता चला है की  यह समसस्या एशिया और अफ्रीका के लोगों में सबसे बड़ी है।

90 प्रतिशत से अधिक वायु प्रदूषण से संबंधित मौतें होती हैं, लेकिन अमेरिका, यूरोप और पूर्वी भूमध्यसागरीय शहरों में भी वायु प्रदूषण के स्तर मौजूद हैं जैसा के डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है।

जारी किये गए नए सूचि के डब्ल्यूएचओ आंकड़ों से पता चला है के अधिक प्रदूषित अमेरिकी शहरों में लॉस एंजिल्स, बेकर्सफील्ड और फ्रेस्नो, कैलिफ़ोर्निया वग़ैरह शामिल हैं इसके इलावा इंडियानापोलिस और इंडियाना के क्षेत्र भी बुरी तरह से प्रभावित पाए गए हैं ।

पाकिस्तान के पेशावर और रावलपिंडी, भारत में वाराणसी और कानपुर, काहिरा, अल जुबेल, सऊदी अरब इस डेटाबेस में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण के स्तर पाए गए हैं। 

डब्ल्यूएचओ के स्वास्थ्य, पर्यावरणीय और सामाजिक निर्धारण विभाग के निदेशक मारिया नीरा ने कहा, "मुझे डर है कि यह बहुत खतरनाक है कि अभी भी दुनिया के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से उच्च स्तर पर है।" ।

"इसमें कोई संदेह नहीं है कि वायु प्रदूषण ना केवल स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय जोखिम का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि मैं स्पष्ट रूप से कहूँगी कि इस समय सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए यह एक बड़ी चुनौती है |

कण प्रदूषण, हवा में ठोस और तरल बूंदों का मिश्रण होता है, जब आप सांस लेते हैं तो यह प्रदूषित कण आपके सांस के ज़रिये फेफड़ों में जा कर चिपक जाते हैं और आपके ऑर्गन में समस्याएं खड़ी करते हैं । शोध से मालूम हुआ के इस से खतरनाक बीमारियां जैसे की, अस्थमा, फेफड़ों के कैंसर, हृदय रोग, स्ट्रोक और क्रोनिक अवरोधक फुफ्फुसीय विकार (सीओपीडी) सहित स्वास्थ्य परिस्थितियों का कारण बन जाते हैं।

इन बाहरी कणों में - सल्फेट, नाइट्रेट्स और ब्लैक कार्बन समेत बड़े पैमाने पर कार और ट्रक यातायात, विनिर्माण, बिजली संयंत्र और खेती द्वारा छोड़े जाने वाले प्रदूषण सामने आते हैं। कुल मिलाकर, 2016 में वायु प्रदूषण के कारण 4.2 मिलियन मौतें हो चुकी है ।

नीरा ने कहा, "दुनिया की कई मेगासिटी वायु गुणवत्ता के लिए डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश के स्तर से पांच गुना अधिक पाई गयी है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा दर्शाती है।" यह "एक बहुत बड़ी समस्या है जिसका हम अब सामना कर रहे हैं"।

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