लालू प्रसाद यादव से इतनी नफरत क्यो है ? या यह 2019 का गेम प्लान है जिसकी रणनीति भगवावादी बना रहे हैं | Why There Is So Much Hate For Lalu Prasad Yadav Or It's A Game Plan For 2019 Election.
लालू प्रसाद यादव से इतनी नफरत क्यो है ? या यह 2019 का गेम प्लान है जिसकी रणनीति भगवावादी बना रहे हैं | Why There Is So Much Hate For Lalu Prasad Yadav Or It's A Game Plan For 2019 Election.
उफ! बहुत तकलीफ होती है जब लालू प्रसाद यादव जी को कोर्ट में खड़े होते या जेल जाते देखता हूँ।मन सोचने को मजबूर हो जाता है कि आखिर लालू कौन सी ऐसी बला है जिससे कुछ लोगों को इतनी नफरत है?समाज के प्रभु वर्ग को लालू से ही परेशानी क्यो है? नेता तो बहुत सारे हैं पर लालू ही आँख की किरकिरी क्यो है? सवाल दर सवाल उठते हैं और सोचने को विवश करते हुए लालू जी के साथ हो रहे सलूक पर आकर ठहर जाते हैं।
लालू यादव में आखिर क्या ऐसा है कि दिल्ली में सरकार कोई हो पर वह लालू को हजम नही कर पाती।देवगौड़ा जी हों,गुजराल जी हों,बाजपेयी जी हों या मनमोहन सिंह जी आदि सभी के सभी लालू जी के प्रत्यक्ष तो कायल दिखते हैं पर अंदर से घायल रहते हैं।लालू जी हर किसी के द्वारा छले गए हैं आखिर क्यों?राहुल गांधी जैसा युवा नेता जिसकी पार्टी के साथ लालू जी लट्ठ लिए खड़े दिखते हैं वह भी लालू जी का विरोधी क्यो हो जाता है?
लालू जी जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो बिहार में कुप्रबन्धन ऐसा कि पूछिये मत।चंद मुट्ठी भर लोग सत्ता प्रतिष्ठानों मेंं काबिज बिहार को रगेद रहे थे लेकिन लालू जी ने मलिन बस्तियों में सत्ता की हनक को पंहुचाया।वंचित तबका लालू जी के सत्तासीन होने के बाद समझने लगा कि सरकार उसके लिए भी होती है।तमाम सवर्ण सेनाओं के फन को लालू जी ने कुचलकर बिहार में मजूरों को मजबूर से मजबूत बनाया।बस यही बिहार में गुंडा राज/जंगल राज का सबब बन गया क्योकि अब उपेक्षित तबका बिहार में क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया व्यक्त करने लगा था।लालू जी के सत्तासीन होने के बाद ठेका-पट्टा से लेकर सरकारी नौकरियों,मन्त्रालयो से लेकर विभिन्न विभागों में दलितों/पिछडो की भागीदारी नजर आने लगी थी।
बिहार जो दंगो के लिए मशहूर था वहां अब दंगे होने बन्द हो गए थे।दंगाई बिल में समाहित हो गए थे।जब बिहार दंगो की आग में बर्षो-बरस झुलसता रहता था तो रामराज था लेकिन जब बिहार दंगामुक्त हो गया तो कथित जंगल राज आ गया।
बिहार में लालू जी ने मुख्यमन्त्री बन गाय, भैंस,सुअर,भेड़ आदि चराने वाले बच्चों को स्कूल पंहुचाना शुरू कर दिया।मलिन बस्तियों में खुद जा करके लालू जी ने बच्चो को नहला-धुला करके,कंघी कर उन्हें स्कूल भेजा।चरवाहा स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक खोला तो बिहार में वंचितों के लिए नया विहान हुवा पर अभिजात्य लोगो के लिए यह जंगल राज हुवा।
लालू जी ने बाल्मीक से लेकर बिहार की छोटी-छोटी जातियों के लोगो को सदरी पहना करके मंत्री,विधायक,सांसद, राज्यसभा, विधान परिषद सदस्य बनाया।हेलीकाप्टर में बिठा करके उन्हें उनके क्षेत्र में भेजा तो बहुतों के कलेजे पर सांप लोटने लगा।लालू जी का यह कार्य हजार वर्ष की मनुवादी व्यवस्था पर करारा प्रहार था जिस नाते लालू जी मुंहजोर लोगो के लिए खलनायक हो गए।लालू के राज को जंगलराज बताया जाने लगा।
लालू जी ने मण्डल कमीशन की लड़ाई को अपना लक्ष्य बनाकर काम करना शुरू कर दिया।मण्डल को लागू करवाने हेतु लालू जी ने सदन से सड़क तक संघर्ष किया।लालू जी ने भीड़ व भाषण से देश में मण्डल के पक्ष में माहौल बनाया।सुप्रीम कोर्ट में रामजेठमलानी जैसे प्रख्यात वकील को रखा और न्यायायल से मण्डल की लड़ाई को जीता जिस नाते आज लाखो लोग कलक्टर से लेकर चपरासी तक बन मौज मार रहे हैं।
लालू जी ने देश में सबसे अधिक ताकत के साथ कम्युनल ताकतों के फन को कुचला।लालू जी ने जहां मण्डल को मजबूत बनाया वहीं कमण्डल को फोड़ डाला।अश्वमेध का रथ लेकर निकले आडवाणी जी को बिहार की धरती पर रोक करके लालू जी ने सिद्ध कर दिया कि वे खुद को अपराजेय समझने वाले हिंदुत्ववादियों की नकेल कसने में समर्थ हैं।लालू जी ने जिस ताकत के साथ धर्मनिरपेक्षता व भारतीय संविधान के साथ खड़े होने का कार्य किया वह अद्वितीय है।लालू जी का यह कार्य जंगल राज के रूप में शुमार किया जाने लगा।
लालू जी ने रेल मंत्री रहते हुए जिस तरीके से बिना किराया बढ़ाये घाटे में जा रही रेल को मुनाफे में लाया वह किसी चमत्कार से कम नही है।देश ही नही बल्कि दुनिया भर में लालू जी मैनेजमेंट गुरु के रूप में ख्याति पाए।उन्हें दुनिया की नामचीन यूनिवर्सिटीज ने ब्याख्यान हेतु बुलाया।लालू जी ने अपनी क्षमता व मेधा का लोहा दुनिया को मनवाया लेकिन इसके बावजूद लालू को ललुआ कहा गया और उनके राज को गुंडाराज।
लालू जी पर जिस चारा घोटाले का केस है उसमे यथार्थ तो यही है कि लालू जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उसका खुलासा हुआ।लालू जी ने ही चारा घोटाले का मुक़दमा दर्ज करवाया।यह घोटाला तो लालू जी के सत्तासीन होने के दशक पूर्व से चला आ रहा था लेकिन इसे लालू जी ने ही पकड़ा और एफआईआर कराया।जगन्नाथ मिश्र जी मुख्यमंत्री रहते हुए इस घोटाले पर आंख मूंदे रहे लेकिन लालू जी ने इस घोटाले को उजागर किया फिर भी चारा चोर हो गए और जगन्नाथ मिश्र जी प्रातः स्मरणीय।
कितना अजीब है कि जिस व्यक्ति ने चारा घोटाला उजागर किया वह जेल की सींखचों में और जिनके कार्यकाल में यह घोटाला फला-फूला वे बाइज्जत बरी।
न्यायपालिका का सम्मान है और हम सबको न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास भी करना चाहिए लेकिन जब किसी व्यवस्था में चूक हो तो सवाल भी उठना चाहिए।लोकतंत्र में बाते रखने,तर्क करने,किसी फैसले को न्याय की कसौटी पर कसने की गुंजाइश भी रहनी चाहिए।समान पद, समान धाराएं तो एक रिहा,एक दोषी,वह भी वह व्यक्ति दोषी जिसने घोटाले का राजफाश किया।
न्यायाधीश और डॉक्टर को हम जीवित ईश्वर कह सकते हैं जो जीवन लेने व देने की क्षमता रखता है फिर उसका प्रेशराइज या रिजिड होना बहुत सारे सवाल छोड़ता है।लालू जी 70 वर्ष की उम्र में यदि तमाम बीमारियों व झंझावातों से जूझते हुये कहते हैं कि हुजूर ठंड बहुत है तो क्या ईश्वर की जीवित मूर्ति को यह कहना चाहिए कि तब आप हारमोनियम व तबला बजाइये।
बहुत बड़ा सवाल खड़ा है कि लालू जी से इतनी नफरत क्यो है?
"प्रसूइट आफ ला ऐंड आर्डर" के लेखक एपी दुराई (पुलिस महानिदेशक) जो चारा घोटाला के जांच अधिकारी थे, ने जब अपनी इस किताब में लिख दिया है कि लालू जी को जबरन मुजरिम बनाने की साजिश हुई है तो शेष बचता क्या है? इन सब के बाद यक्ष प्रश्न यही है कि पूरे देश में वंचितों के बीच लोकप्रिय लालू से कुछ प्रभुतासम्पन्न लोगो को नफरत,घृणा क्यो है?
लालू सचमुच माटी का लाल है।हिन्दू धर्मशास्त्र गवाह हैं कि जिन-जिन लोगो ने अतीत में वंचितों को हक़ सम्पन्न बनाने की कोशिश की,जो कोई मनुवाद या हरिद्रोह/व्यवस्थाद्रोह किया वह किसी न किसी विधि से ताड़ना का शिकार हुआ।शायद वही कार्य परिष्कृत रूप में वंचितों के हित में मजबूती से खड़े लालू के साथ इस आधुनिक समय मे हो रहा है।
अब लालू यादव जी चाहे जेल जांय या कुछ और हो पर इतना तो निश्चित है कि लालू 21 सदी के "भारतीय नेल्सन मंडेला" के रूप में इतिहास के पन्नो में अमिट रूप में दर्ज होंगे।लालू को जेल भेजा जा सकता है पर लालू को करोड़ो दिलो से नही निकाला जा सकता है।
आप तो जागेंगे नही की अभी मेरा शोषण थोडा हुआ है पहले हुआ होगा मित्र अगला नम्बर आपका ही है इस लिए प्लीज सोचे ।
दलित पिछड़ा एक समान
हिन्दू हो या मुसलमान ।
#सौजन्य-डा. श्रीनारायण जी।
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